नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत का बेबाकीपूर्ण बयान,हम जैसे चालू टाइप नेता भी.. नही बता पा रहे है कि..

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत का बेबाकीपूर्ण बयान,हम जैसे चालू टाइप नेता भी.. नही बता पा रहे है कि..

बिलासपुर : नेता प्रतिपक्ष का बेबाकीपूर्ण बयान ने लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हम जैसे चालू टाइप नेता भी यह पता नहीं लगा पा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार को आखिर चला कौन रहा है। उनका इतना कहना था कि बगल में बैठे पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की हंसी छूट गई।

नेता प्रतिपक्ष डा महंत ने कहा कि हमारी बात तो छोड़िए भाजपा के विधायक को भी नहीं पता कि सरकार कौन चला रहा है। उन विधायकों को मैंने बधाई भी दी थी जिनका नाम मंत्री के लिए चल रहा था। उन लोग भी अब रोने की स्थिति में आ गए हैं कि उनका क्या होगा।

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डा महंत ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार बने डेढ़ साल हो गए हैं। प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। प्राइवेट को तो छोड़ दीजिए सरकारी अस्पतालों में मरीजों और परिजनों के साथ अन्याय हो रहा है। डा महंत ने कहा कि उम्मीद करते हैं कि न्याय यात्रा से सरकार जागेगी और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार होगा। एक सवाल के जवाब में डा महंत ने कहा कि सरकार कौन चला रहा है यह तो समझ में ही नहीं आ रहा है। कई चेहरे हैं और किरदार भी वैसा ही। सरकार कहां से चल रही है और कौन चला रहा है किसी को पता नहीं चल रहा है। हम जैसे चालू टाइप नेता भी पता नहीं लगा पा रहे है कि कौन चला रहा है और कैसे चल रही है। 

बड़ी उम्मीदे थी, पर ऐसा कुछ हो नहीं रहा

डा महंत ने कहा कि आदिवासी समाज का सीएम बने तो उम्मीद जगी थी कि प्रदेश का भला होगा। प्रदेश के आदिवासियों, पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति वर्ग के के लोगों में बड़ा उत्साह था। लेकिन अब उत्साह धीरे धीरे खत्म हो रहा है।.

नक्सल मुक्त हो बस्तर, हम सब सरकार के साथ

बस्तर में राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान का समर्थन करते हुए डा महंत ने कहा कि बस्तर नक्सलियों से मुक्त हो, आदिवासी खुली हवा में सांस ले और बस्तर के संसाधनों पर पहला हक वहां के आदिवासियों का ही हो। डा महंत ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि बस्तर को आप नक्सल मुक्त करने के बाद बस्तर के संसाधनों को उद्याेगपतियों के हवाले कर दे। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी।हम सब जमकर विरोध करेंगे।

नक्सलियों की ओर से आ रहे शांति प्रस्ताव के मुद्दे पर कहा कि ठीक है नक्सलियों की तरफ से शांति प्रस्ताव आया होगा, सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार किससे बात करे। नक्सलियों की तरफ से कौन आएगा बात करने। कोई नेता तो तय करे जिसके पास बात करने का अधिकार हो।

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