CBI जल्द कर सकती है  IAS अनिल टुटेजा, A.P. त्रिपाठी समेत कई अफसरों को गिरफ्तार

CBI जल्द कर सकती है IAS अनिल टुटेजा, A.P. त्रिपाठी समेत कई अफसरों को गिरफ्तार

रायपुर :  झारखंड में शराब नीति में बदलाव कर करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने के मामले की जांच अब CBI करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी करते हुए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत CBI को छत्तीसगढ़ में जांच के लिए सहमति दी है। यह मामला रायपुर स्थित आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा दर्ज अपराध से जुड़ा है। बता दें कि यह घोटाला झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव के जरिए रचा गया था, जिसकी योजना छत्तीसगढ़ में बनी। आरोप है कि रायपुर से डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर शराब की आपूर्ति झारखंड में की गई, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ।

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EOW ने पिछले साल इस मामले में FIR दर्ज की थी, लेकिन जब उनके अधिकारी जांच के लिए झारखंड पहुंचे, तो वहां के अधिकारियों ने सहयोग नहीं किया। इसके बाद जांच को केंद्रीय एजेंसी CBI को सौंपने का निर्णय लिया गया। बता दें कि इस जांच के दायरे में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, सलाहकार अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह, सिद्धार्थ सिंघानिया, विधु गुप्ता, निरंजन दास और अन्य की मुसीबतें अब और बढ़ने वाली हैं। गौरतलब है कि झारखंड में FL-10A लाइसेंस मॉडल पर आधारित नई शराब नीति बनाई गई, जो पूरी तरह छत्तीसगढ़ की तर्ज पर थी। इसके तहत पुरानी ठेका प्रणाली को खत्म कर एक चहेती एजेंसी को आपूर्ति का ठेका दिया गया। आरोप है कि सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम का उपयोग कर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की।

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CBI की टीम अब FIR की कॉपी के आधार पर झारखंड में नए सिरे से जांच करेगी और जिन लोगों के नाम EOW की चार्जशीट में हैं, उनसे पूछताछ के बाद गिरफ्तारी की संभावना भी जताई जा रही है। इस जांच से झारखंड-छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य की सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपये के नुकसान का

खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।









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