जांजगीर-चाम्पा : छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 'मोदी की गारंटी' को साकार करने का संकल्प लिया था, जिसमें हर जरूरतमंद को पीएम आवास योजना के तहत पक्का मकान देना प्रमुख वादा था। मुख्यमंत्री बार-बार यह दोहरा चुके हैं कि किसी भी हितग्राही से पीएम आवास के नाम पर एक रुपया भी वसूला गया तो दोषी कर्मियों पर सख्त कार्यवाही होगी। लेकिन जमीनी हकीकत इस दावे को कठघरे में खड़ा कर रही है।
जिले में गूंज रहा भ्रष्टाचार का सायरन
जांजगीर जिले के बम्हनीडीह जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत दुरपा में रोजगार सहायक द्वारा पीएम आवास के नाम पर 500 से 1000 रुपये तक की वसूली करने का मामला तूल पकड़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि फोटो खींचने के नाम पर पैसे मांगे जा रहे हैं, और जो भुगतान नहीं करता उसका काम रोक दिया जाता है।
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ग्रामीणों की खुली शिकायत
कुछ हितग्राहियों ने मीडिया को बताया कि जब तक 500 रुपये नहीं दिए जाते, तब तक रोजगार सहायक द्वारा फोटो तक नहीं लिया जाता। इतना ही नहीं, ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां हितग्राही ने मकान की नींव तक नहीं रखी और उसे दूसरी किस्त भी जारी कर दी गई।
जिम्मेदार बनते अनजान
जब इस पूरे मामले में ग्राम के सरपंच प्रतिनिधि से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा, "मेरे संज्ञान में ऐसी कोई बात नहीं आई है, लेकिन अगर किसी भी ग्रामीण से वसूली की गई है, तो इसकी जांच कर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।"
अब देखने वाली बात यह होगी कि जांजगीर जिला प्रशासन और जनपद स्तर के अधिकारी इस भ्रष्टाचार पर क्या कार्रवाई करते हैं। अगर इस मामले को दबा दिया गया, तो यह संकेत देगा कि अन्य ग्राम पंचायतों में भी इस योजना के नाम पर भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हो चुकी हैं।
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‘मोदी की गारंटी’ या भ्रष्टाचार की बेलगाम उड़ान?
प्रधानमंत्री की गरिमा और योजना की गंभीरता को ठेंगा दिखाते इन वसूलीबाजों पर अगर समय रहते लगाम नहीं कसी गई, तो यह न सिर्फ शासन की साख पर सवाल खड़े करेगा, बल्कि आम जनता का भरोसा भी टूटेगा।
अब सवाल यह है: क्या इन रोजगार सहायकों पर गिरेगी गाज? या भ्रष्टाचार यूं ही पर लगाकर उड़ता रहेगा?
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