गंभीर युग की शुरुआत,कोहली-रोहित के टेस्ट रिटायरमेंट के बाद कोच का दिखेगा पूरा दम

गंभीर युग की शुरुआत,कोहली-रोहित के टेस्ट रिटायरमेंट के बाद कोच का दिखेगा पूरा दम

बीते बुधवार को रोहित शर्मा और अब विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ने टीम इंडिया में गौतम गंभीर की ताकत को बढ़ा दिया है। ये दो खिलाड़ी ऐसे थे जो गंभीर के साथ कभी खेले थे और उनके खिलाफ गंभीर जा नहीं सकते थे।लेकिन अब जब 3 में से दो फॉर्मेट को दोनों ने अलविदा कह दिया है तो अब सही मायनों में टीम इंडिया के भीतर गौतम गंभीर युग की शुरुआत हो गई।

एक वक्त था जब ग्रेग चैपल ने टीम इंडिया के भीतर अपनी ताकत दिखानी चाही थी, लेकिन उन्हें पद छोड़ना पड़ा। एक दौर वो भी आया जब अनिल कुंबले टीम के 'सुपरस्टार कल्चर' से परेशान थे, लेकिन वहां भी हार कोच की हुई। अब समय बदल चुका है और ऐसा लगता है कि गौतम गंभीर भारतीय क्रिकेट के वह बिरले मुख्य कोच होंगे जिनके पास कप्तान से ज्यादा ताकत है।

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भारतीय क्रिकेट में ऐसे असंख्य उदाहरण हैं जब खिलाड़ियों की ताकत के सामने टीम के कोच को पीछे हटना पड़ा, लेकिन अब समय बदल चुका है। बिशन सिंह बेदी, चैपल और कुंबले खुद चैम्पियन खिलाड़ी रहे हैं लेकिन उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें कप्तान के सहायक की भूमिका निभानी पड़ेगी। जॉन राइट, गैरी कर्स्टन और रवि शास्त्री को यह पता था और वे काफी सफल रहे।

टीम में अब बड़ा नाम नहीं

विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन और रोहित शर्मा के संन्यास के बाद टेस्ट टीम में अब बड़े सितारे नहीं बचे हैं जिससे गंभीर को क्रिकेट की बिसात पर अपने मोहरे खुलकर चलने का मौका मिलेगा। बीसीसीआई के सूत्रों की मानें तो गंभीर पहले से तय करके आये थे कि टीम में 'स्टार कल्चर' खत्म करना है। सूत्र ने कहा ,'' गौतम गंभीर युग की शुरूआत अब हुई है । उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के नये चक्र में भारत को नये चेहरे चाहिये।''उन्होंने कहा ,'' टीम प्रबंधन में सभी को पता था कि टेस्ट प्रारूप में सीनियर खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर गंभीर क्या सोचते हैं। मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर भी उनसे इत्तेफाक रखते थे।''

भारतीय क्रिकेट में कप्तान हमेशा से सबसे मजबूत शख्स रहा है। सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी, कोहली और रोहित सभी की टीम चयन में निर्णायक भूमिका रही है। लेकिन गंभीर के दौर में ऐसा नहीं है। राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा की जोड़ी संक्षिप्त लेकिन प्रभावी रही। वहीं रोहित और गंभीर की जोड़ी कभी सहज नहीं दिखी। पहली बार मेगा सितारों की रवानगी में कोच की अहम भूमिका रही लेकिन फिर यह ताकत दुधारी तलवार भी है।

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समझा जाता है कि भारतीय क्रिकेट के बदलाव के इस दौर में गंभीर चाहते थे कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी और न्यूजीलैंड श्रृंखला जैसी विफलता के दोहराव से बचने के लिये उन्हें पूरी ताकत दी जाये। शुभमन गिल के रूप में उनके पास युवा कप्तान है जो उनकी सुनेगा। गिल स्टार हैं लेकिन उनका वह दर्जा नहीं है कि गंभीर के फैसलों और रणनीतियों पर सवाल उठा सके। एक ही खिलाड़ी उस कद का है और वह है जसप्रीत बुमराह लेकिन फिटनेस के खराब रिकॉर्ड के कारण उनका कप्तान बनना संभव नहीं। ऐसे में गंभीर के पास पूरी ताकत होगी लेकिन वनडे में उन्हें संभलकर काम करना होगा जिसमें रोहित और विराट की नजरें 2027 विश्व कप खेलने पर लगी होंगी






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