रायपुर : राज्य वित्त सेवा विभाग किसी न किसी विवादित विषय में नियुक्ति कर हमेशा सुर्खियों में बना हुआ है ताजा मामला कोषालयीन सेवा में कार्यरत कर्मचारियों की पदोन्नति को प्रभावित मामले में अधिकारी -कर्मचारी आक्रोशित हैं। वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति नियम 2012 के नियम 4(3) के तहत वित्त विभाग के अंतर्गत संचालनालय पेंशन एवं भविष्य निधि की पदसंरचना में स्वीकृत वित्त नियंत्रक के पद के विरूद्ध छग राज्य वित्त सेवा संवर्ग के अखिलेश कुमार सिंह अपर सचिव वित्त विभाग की सेवा निवृत्ति दिनांक 31मार्च 25 के पश्चात उनके कार्यभार ग्रहण के दिनांक से एक वर्ष अथवा उक्त पद की पूर्ति होने तक जो भी पहले हो तक के लिए संविदा पर नियुक्त किया गाया है। वर्तमान में सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद अर्थात दिनांक 1 अप्रैल 2025 से उसी पद पर संविदा पर कार्यरत हैं जबकि इस मामले में नियम कुछ औऱ ही है। सामान्य प्रशासन विभाग की सहमति से पदोन्नति से भरे जाने वाले ऐसे पद जिसके लिए न्यूनतम अर्हता प्राप्त शासकीय सेवक उपलब्ध न होने के कारण अथवा अन्य अरिहार्य कारणों से पदोन्नति से पद की पूर्ति एक वर्ष या उससे अधिक अवधि तक संभव न हो।
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संघ ने वित्त मंत्री को अवगत कराते हुए कहा है कि राज्य वित्त संवर्ग अंतर्गत पदोन्नति से भरे जाने वाले उक्त पद के लिए न्यूनतम अर्हता प्राप्त शासकीय सेवक की किसी भी प्रकार की कमी नहीं है, एक से बढ़कर एक पात्र प्रतिभाशाली अदिकारी उपलब्ध है जो उक्त पद पर पदोन्नति के लिए बार-बार निवेदन कर रहे हैं किंतु पात्र राज्य वित्त सेवा संवर्ग के विभिन्न स्तर के अधिकारियों का तथा अधिनस्थ लेखा संवर्ग के अधिकारियों का एवं कोषालयीन सेवा में कार्यरत कर्मचारियों की पदोन्नति प्रभावित हो रही है।
संघ ने पत्र में यह भी लिखा है कि उपरोक्त पदोन्नति कार्यवाही की पूरी जिम्मेदारी संविदा पर नियुक्त इन्ही अधिकारी के ऊपर है, वो जानबूझकर पदोन्नति को लंबित रखे हुए है। पूर्व में भी 2022 एवं 2023 की पदोन्नति एवं पदस्थापना की कार्यवाही को लंबी अवधि से लंबित रखे है। संविदा पद पर नियुक्ति उक्त अधिकारी स्थापना शाखा के प्रभारी आधिकारी थे और है। अपने आप को संविदा नियुक्ति के उक्त निय़मों के विपरीत उच्च अधिकारियों को दिग्भ्रमित कर संविदा नियुक्ति पाने में सफल हो गए है। जिस पर तत्काल एक्शन लेकर नियुक्ति रद्द् कर जो य़ोग्य और हकदार है उसे इस पद पर पदोन्नति दी जाए। इसके पहले ऐसा ही मामला लोनिवि में भी आया था। विभाग ने सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति और नियम कायदे को नजरअंदाज कर सेवानिवृत इंजीनियर एस एन श्रीवास्तव को संयुक्त सचिव के पद पर संविदा नियुक्ति दी थी लेकिन हल्ला होने पर जीएडी ने निरस्त कर दिया था।
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