आज है दूसरा बड़ा मंगल ऐसे करें पवनपुत्र की पूजा,होगी सभी मनोकामनाएं पूरी

आज है दूसरा बड़ा मंगल ऐसे करें पवनपुत्र की पूजा,होगी सभी मनोकामनाएं पूरी

ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल कहा जाता है। इस दिन साधक राम भक्त भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन व्रत रखने की भी मान्यता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ महीने का दूसरा बड़ा मंगल  20 मई, 2025 यानी आज मनाया जा रहा है। माना जाता है कि इस कठिन उपवास का पालन करने से सभी मनाकामनाओं की पूर्ति होती है।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी – कर्महिनों को कर्मठता नही भाति

इसके साथ ही जीवन में आने वाले संकटों से छुटकारा मिलता है। ऐसे में जो लोग बजरंगबली की कृपा पाने की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस दिन उनकी और भगवान राम की भव्य आरती जरूर करनी चाहिए, जो इस प्रकार हैं।

।। हनुमान जी की आरती।। (Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics)

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।

लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।

पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।

।।भगवान राम की आरती।। (Shri Ramchandra Ji Aarti)

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।

नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।

पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।

रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।

आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।

करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।

तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।

मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments