प्रमोशन के नाम पर खेला! बेमेतरा में प्रधान पाठकों की पदोन्‍नति में हेराफेरी, डीईओ ने रद्द की पूरी सूची

प्रमोशन के नाम पर खेला! बेमेतरा में प्रधान पाठकों की पदोन्‍नति में हेराफेरी, डीईओ ने रद्द की पूरी सूची

CG Teachers Promotion Cancelled बेमेतरा  : छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में प्रधान पाठक के प्रमोशन को लेकर बड़े विवाद के बाद बड़ा एक्‍शन हुआ है। प्रमोशन प्रक्रिया में गड़बड़ी और पैसों के लेनदेन की शिकायतों के बाद पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया। नतीजा, जिला शिक्षा अधिकारी  ने पूरी प्रमोशन सूची को रद्द कर दिया है। हालांकि पत्र में इसका कारण काउंसलिंग के दौरान कलेक्टर प्रतिनिधि की अनुपस्थिति बताया गया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक असली वजह संशोधन आदेशों और पैसों के लेनदेन से जुड़ी गड़बड़ियां हैं।

शिकायतों के अनुसार, पहले से उपलब्ध रिक्त पदों को प्रमोशन प्रक्रिया में जानबूझकर छिपाया गया, और बाद में कथित रूप से पैसों के बदले उन्हीं स्थानों पर संशोधन आदेश जारी कर पदस्थापना की गई। बाद में जिन मामलों में पैसा नहीं मिला, उनके संशोधन आदेश को निरस्त भी कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे खेल में शामिल शिक्षक भी पहुंच वाले थे, जिसकी जानकारी सीधे कलेक्टर तक पहुंच गई, और फिर इस पर त्वरित कार्रवाई हुई।

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डीईओ ने की पूरी सूची निरस्त

इस विवाद के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने पूरी प्रमोशन सूची  को रद्द कर दिया। हालांकि जारी पत्र में यह बताया गया कि काउंसलिंग प्रक्रिया में कलेक्टर प्रतिनिधि की अनुपस्थिति के चलते सूची अमान्य मानी गई है, लेकिन जानकारों का कहना है कि यह सिर्फ गड़बड़ियों पर पर्दा डालने की एक कोशिश है।

प्रश्न उठता है कि यदि कलेक्टर प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे, तो फिर पदोन्नति आदेश जारी क्यों किया गया? क्या एक जिला शिक्षा अधिकारी को यह सामान्य प्रक्रिया भी मालूम नहीं?

Bemetara Teachers Promotion Cancelled

इस मामले के बाद सवालों के घेरे में अफसर

शिक्षा विभाग के जानकार मानते हैं कि यह isolated घटना नहीं है। प्रमोशन, संलग्नीकरण, संशोधन, और निलंबन (CG Teachers Promotion Cancelled) बहाली जैसे मामलों में लगातार पैसों के आधार पर निर्णय लिए जा रहे हैं। जिन मामलों में लेनदेन सफल, उनमें नियम ताक पर रखकर आदेश जारी। जिन मामलों में रकम तय नहीं हुई, उनकी फाइलें महीनों से लंबित। उच्च कार्यालयों तक शिकायतें पहुंचने के बावजूद, अब तक कोई ठोस अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि पिछली सरकार की छवि को भी इसी तरह के प्रमोशन और ट्रांसफर घोटालों ने नुकसान पहुंचाया था। यदि मौजूदा सरकार ने समय रहते इन घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया, तो शिक्षा विभाग में फैला भ्रष्टाचार और अफसरशाही का मनमाना रवैया सरकार की साख पर भारी पड़ सकता है।









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