पाकिस्‍तानी सरकार और सेना पर क्‍यों फूटा सिंध के लोगों का गुस्‍सा

पाकिस्‍तानी सरकार और सेना पर क्‍यों फूटा सिंध के लोगों का गुस्‍सा

नई दिल्‍ली :  पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान पहले ही परेशान था। इस बीच, चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तान का सिंध सुलगने लगा। पंजाब और सिंध प्रांत के लोग एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए। हाईवे बंद कर दिए गए। प्रेट्रोल पंप पर लूट की गई।गृह राज्यमंत्री जियाउल हसन लंजर का घर फूंक दिया और दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में यह कोई आम विरोध प्रदर्शन नहीं था, यह खुले तौर पर पाकिस्तान की स्टेट पॉलिसी के खिलाफ बगावत थी।

अब सवाल यह हैं कि चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट क्या है, इस प्रोजेक्ट का विरोध क्यों हो रहा है, प्रोजेक्ट कितनी लागत में बनकर तैयार होगा और पाकिस्तान की इस प्रोजेक्ट के पीछे की मंशा क्या है? आइए सभी सवालों के जवाब हम आपको बताते हैं ...

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चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट क्या है?

सिंधु नदी को पाकिस्तान की लाइफलाइन माना जाता है। पाकिस्तान सरकार और सेना ने सिंधु नदी का पानी पंजाब के चोलिस्तान रेगिस्तान में ले जाने के लिए 'चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट' (Cholistan Canal Project) शुरू किया है ताकि चोलिस्तान रेगिस्तान की जमीन को खेती लायक बनाया जा सके।  इस प्रोजेक्ट के तहत 176 किलोमीटर लंबी छह नहरे बनाई जानी हैं।

चोलिस्तान कैनाल प्रोजेक्ट के पीछे क्‍या है PAK की मंशा?

दरअसल, चोलिस्तान नहर परियोजना के पीछे पाकिस्तान का असली मकसद सिंध प्रांत में जाने वाले पानी को रोकना है। पाकिस्तान की सरकार से लेकर सेना और प्रशासन के भीतर पंजाब के लोगों का दबदबा है। सिंध और बलूचिस्तान जैसे प्रांतों को लेकर पाकिस्तान के हुक्मरानों का रवैया हमेशा से ही उदासीन और दोयम दर्ज का रहा है।

यही कारण है कि पाकिस्तान सरकार और सेना की मंशा सिंध के लोगों को मिलने वाले पानी को दक्षिण प्रांत में ही रोक देना है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर ने मिलकर आनन-फानन चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट को हरी झंडी भी दे दी है। हालांकि, इस प्रोजेक्ट पर विशेषज्ञ सवाल भी उठा रहे हैं।

प्रोजेक्ट का विरोध क्यों हो रहा?

सिंध प्रांत में खेती, किसान और लाखों लोगों रोजी-रोटी सिंधु नदी पर टिकी है।  चोलिस्तान कैनाल प्रोजेक्ट से पंजाब को फायदा होगा, लेकिन सिंध को उसके हक का पानी नहीं मिलेगा।

यानी कि अगर सिंध नदी का पानी पंजाब में डायवर्ट कर दिया गया तो सिंध प्रांत में पानी की किल्लत हो सकती है, सूखा पड़ सकता है, जिससे उनकी खेती और फसलें बर्बाद हो सकती है। लोग पीने के पानी के लिए तरस सकते हैं और धीरे-धीरे अभी हरा-भरा रहने वाला सिंध रेगिस्तान बन सकता है।

चोलिस्तान कैनाल प्रोजेक्ट से सिंध के लोगों जीवन शैली प्रभावित होगी। इसलिए यहां के किसान, आम लोग, राजनीतिक दल, धार्मिक संगठन, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हें। इस प्रोजेक्‍ट को रोकने के लिए सिंध के लोग सड़कों पर उतरे।

कहा जा रहा है कि सतलुज की बाढ़ का पानी भी सिंध प्रांत को मिलेगा। एक्‍सपर्ट का कहना है कि बाढ़ के पानी पर निर्भरता बढ़ाना पाकिस्तान सरकार की सबसे बड़ी गलती होगी।

प्रोजेक्ट पर कितना खर्च होगा?

चोलिस्तान नहर परियोजना Pakistan के दक्षिण पंजाब प्रांत में है। यह क्षेत्र भारत के राजस्थान से सटा हुआ है। इस प्रोजेक्ट में 176 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी और इसकी तीन सब-कैनाल भी बनाई जाएंगी।

इस प्रोजेक्ट की जल संग्रहण क्षमता 4,120 क्यूसेक होगी। यह नहर करीब 67 अरब रुपये (भारतीय मुद्रा) में बनकर तैयार होगी। पाकिस्तान चोलिस्तान कैनाल प्रोजेक्ट को साल 2030 तक बनाकर तैयार करना चाहता है।

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सिंध में कौन-सी पार्टी कर रही विरोध?

पाकिस्तान के सिंध में बिलावल भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की सरकार है।  मुराद अली शाह (Murad Ali Shah) सिंध मुख्यमंत्री हैं।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी चोलिस्तान कैनाल प्रोजेक्ट का जमकर विरोध कर रही है। केंद्र में पीपीपी शहबाज शरीफ के साथ मिलकर सरकार चला रही है, बावजूद  राज्य में पार्टी शहबाज सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध कर रही है।







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