बिहार की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। मामला केवल सियासत का नहीं, बल्कि लालू परिवार के भीतर उठते तूफान का है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने 'नैतिक मूल्यों' का हवाला देते हुए अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से छह सालों के लिए निष्कासित कर दिया है और परिवार से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
यह फैसला उस वक्त आया जब तेज प्रताप और उनकी गर्लफ्रेंड अनुष्का यादव के साथ उनके रिश्ते का सच सामने आ गया। इसी बीच तेज प्रताप की अलग रह रही पत्नी ऐश्वर्या राय ने भी लालू परिवार पर कई बड़े आरोप लगाए।
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बिहार के वरिष्ठ नेता चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय ने तेज प्रताप पर घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना और नशे की लत जैसे गंभीर आरोप लगाए। ऐश्वर्या का कहना है कि शादी के बाद उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इस बीच सोशल मीडिया पर लालू परिवार की आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया यूजर्स कह रहे हैं कि ये जब लालू यादव को अपने बेटे के रिश्ते के बारे में पता था तो उन्होंने तेज प्रताप की शादी क्यों करवाई? इस बीच सोशल मीडिया पर एक महिला ''चंपा विश्वास'' की खूब चर्चा हो रही है। इस महिला का नाम लेकर लोग कह रहे हैं कि लालू के राज में महिलाओं के साथ अन्याय करने का कल्चर रहा है। लालू यादव का कोई हक नहीं बनता कि वो नैतिक मूल्यों पर ज्ञान दें। ऐसे में आइए जानें चंपा विश्वास कौन हैं और लालू राज में उनके साथ क्या हुआ था?
कौन हैं चंपा विश्वास और उनके साथ क्या हुआ था?
बिहार के 1990 से 2005 तक के राजनीतिक परिदृश्य को अक्सर 'जंगलराज' कहा जाता है, जहां अपराध और सत्ता का गठजोड़ आम था। इसी दौर में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया, जिसमें एक वरिष्ठ IAS अधिकारी बी.बी. विश्वास की पत्नी चंपा विश्वास को दो सालों तक यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया।
1982 बैच के IAS अधिकारी बीबी विश्वास की पत्नी चंपा विश्वास थीं। 1995 में, जब विश्वास समाज कल्याण विभाग में सचिव के पद पर थे, तब उनका आवास RJD विधायक हेमलता यादव के घर के पास था। 7 सितंबर 1995 को, हेमलता यादव ने चंपा को अपने घर बुलाया, जहां उनके बेटे मृत्युंजय यादव ने चंपा के साथ बलात्कार किया। इस घटना के बाद, चंपा को धमकाया गया कि अगर उन्होंने किसी को बताया, तो उनके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
इस घटना के बाद चंपा विश्वास को लगातार दो सालों तक यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। मृत्युंजय यादव ने न केवल चंपा, बल्कि उनकी मां, भतीजी और घरेलू सहायिकाओं को भी अपना शिकार बनाया। जब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, तो उन्हें चुप रहने की सलाह दी गई। इसके बाद उन्होंने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई, जिसके बाद मामला सार्वजनिक हुआ।
राज्यपाल की पहल पर 1997 में मृत्युंजय यादव को गिरफ्तार किया जाता है। उसके बाद हेमलता यादव फरार हो गई थी। लेकिन फिर उसने दो महीने बाद सरेंडर किया। 2002 में, पटना की एक निचली अदालत ने मृत्युंजय को 10 साल की सजा सुनाई, जबकि हेमलता को 3 साल की सजा मिली। हालांकि, बाद में पटना हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और दोनों को बरी कर दिया।
चंपा विश्वास पति बीबी विश्वास के निधन के बाद कोलकाता में गुमनाम जीवन जी रही हैं। उनके बारे में हाल के वर्षों में कोई सार्वजनिक जानकारी या मीडिया रिपोर्ट सामने नहीं आई है। वो अब सार्वजनिक जीवन से दूर रह रही हैं।
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पढ़ें सोशल मीडिया पर क्या कह रही है पब्लिक?
यह मामला बिहार में सत्ता और अपराध के गठजोड़ का प्रतीक बन गया। इसने दिखाया कि कैसे राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग करके न्याय प्रणाली को प्रभावित किया जा सकता है। चंपा विश्वास कांड आज भी बिहार की राजनीति में सत्ता के दुरुपयोग और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है।
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