राहुल गांधी ने सीजफायर पर बोला हमला,ट्रंप ने फोन किया और नरेंदर हो गए सरेंडर, BJP-RSS वालों की पुरानी आदत

राहुल गांधी ने सीजफायर पर बोला हमला,ट्रंप ने फोन किया और नरेंदर हो गए सरेंडर, BJP-RSS वालों की पुरानी आदत

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी मंगलवार को मध्य प्रदेश पहुंचे। यहां उन्होंने पार्टी के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजफायर के मुद्दे पर पीएम मोदी और बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा कि ट्रंप का फोन आया और नरेंद्र मोदी तुरंत सरेंडर हो गए।उन्होंने कहा कि बीजेपी-आरएसएस वालों को सरेंडर की आदत है। इन पर जरा सा दबाव पड़ता है और ये सरेंडर कर देते हैं। अगर देश में कांग्रेस की सरकार होती को कभी सरेंडर नहीं होता।

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राहुल गांधी ने अपने संबोधन में बीजेपी और आरएसएस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आज देश में विचारधारा की लड़ाई चल रही है। एक तरफ कांग्रेस पार्टी और संविधान है और दूसरी ओर बीजेपी-आरएसएस जो इस संविधान को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की सभी संवैधानिक संस्थाएं बीजेपी और आरएसएस के नियंत्रण में जा चुकी हैं। सभी संस्थाओं में उन्होंने अपने लोग बैठा दिए हैं और धीरे-धीरे देश का गला घोंट रहे हैं।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "मैंने देश से वादा किया था कि जाति जनगणना संसद में पारित की जाएगी। अब मैं आरएसएस-बीजेपी को अच्छी तरह समझता हूं। अगर उन पर थोड़ा दबाव डाला जाता है, तो वे डर कर भाग जाते हैं। इसी तरह, जब ट्रंप ने मोदी जी को इशारा किया, तो उन्होंने ट्रंप के आदेशों का पालन किया। आज़ादी के समय से, उन्हें सरेंडर करने और माफीनामा लिखने की आदत है।"

राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा, "आपको एक समय याद होगा जब फोन नहीं आया था बल्कि सातवां बेड़ा, हथियार और एक विमान वाहक आया था लेकिन इंदिरा जी ने कहा, 'मुझे जो करना है मैं करूंगी'। यही फर्क है। इनका कैरेक्टर है यह। आजादी के समय से सरेंडर वाली चिट्ठी लिखने की आदत है। ज़रा सा दबाव बना तो ये लोग सरेंडर कर देते हैं। कांग्रेस पार्टी सरेंडर नहीं होती है। गांधी जी, नेहरू जी, सरदार पटेल। यह सरेंडर वाले नहीं बल्कि सुपरपावर से लड़ने वाले लोग हैं।

राहुल गांधी ने अपने भाषण में दो प्रमुख मुद्दों को कांग्रेस की प्राथमिक लड़ाई बताया। पहला, संविधान की रक्षा और दूसरा सामाजिक न्याय की बहाली। उन्होंने कहा, "संसद भवन में मैंने देश से वादा किया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, जातिगत जनगणना संसद से पारित होगी. यह सामाजिक न्याय की दिशा में हमारा संकल्प है।" हमने कह दिया कि हम सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे और लोक सभा में जातिगत जनगणना पास करवा के दिखाएंगे। इस पर नरेंद्र मोदी, मोहन भागवत, नितिन गडकरी ने कई बातें कहीं, लेकिन इन पर थोड़ा सा दबाव पड़ा और ये सरेंडर कर गए। BJP-RSS के लोग दबाव में आकर जातिगत जनगणना की बात बोल गए हैं, लेकिन जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते हैं।

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राहुल गांधी ने कहा कि देश का पूरा धन चुनिंदा लोगों के हाथ में सौंपा जा रहा है। चारों तरफ बस दो-तीन लोग दिखते हैं, जैसे इनके अलावा देश में कोई और बिजनेसमैन हैं ही नहीं। अमेरिका में अडानी पर केस चल रहा है, लेकिन हिंदुस्तान में ये कुछ भी कर सकते हैं, क्योंकि ये नरेंद्र मोदी के दोस्त हैं। यानी- देश के 90% लोगों को परे करके सारा पैसा चुने हुए लोगों को सौंपा जा रहा है। अडानी-अंबानी चीन का माल भारत में बेचते हैं, खुद कमाई करते हैं और रोजगार चीन के युवाओं को मिलता है, जबकि यहां के युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। ये हिंदुस्तान की सच्चाई है। इस देश के युवा को रोजगार नहीं मिल रहा है और इसे छिपाया नहीं जा सकता है। जातिगत जनगणना से पता चल जाएगा कि किसको फायदा मिल रहा है और किसके साथ अन्याय हो रहा है।

 









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