लाहौर: जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने दावा किया है कि पाकिस्तान में पुलिस अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के लोगों को एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर रही है। इसमें कहा गया है कि वे ईद-उल-अजहा के अवसर पर पशुओं की कुर्बानी नहीं देंगे।
अहमदिया समुदाय के लोग अपने घरों में भी कुर्बानी नहीं कर सकते
वकीलों के एक संगठन ने मांग की है कि अहमदिया समुदाय के लोग अपने घरों में भी कुर्बानी नहीं कर सकते हैं और अगर वे ऐसा करते हैं तो पुलिस को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
पाकिस्तान में शनिवार को ईद-उल-अजहा मनाई जाएगी
इस पर एक मानवाधिकार संगठन ने कहा है कि यह उनके मजहब या अकीदा की आजादी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। पाकिस्तान में शनिवार को ईद-उल-अजहा मनाई जाएगी।
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अहमदिया समुदाय खुद को मुसलमान मानता है
गौरतलब है कि अहमदिया समुदाय खुद को मुसलमान मानता है, लेकिन 1974 में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था। एक दशक बाद उन्हें न सिर्फ खुद को मुसलमान कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया, बल्कि इस्लाम के कई रस्मों का पालन करने से भी रोक दिया गया।
बहरहाल, जेएपी ने आरोप लगाया है कि पंजाब के जिलों और ¨सध के कुछ हिस्सों में पुलिस द्वारा इस बाबत अहमदियों को लिखित में हलफनामा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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पंजाब सरकार के अधिकारी उन्हें धमका रहे हैं
पंजाब सरकार के अधिकारी उन्हें धमका रहे हैं और परेशान कर रहे हैं। यह कृत्य न केवल अहमदियों की धार्मिक स्वतंत्रता का घोर उल्लंघन है, भेदभावपूर्ण हैं, बल्कि असंवैधानिक और अमानवीय भी हैं।
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