राखी गांव की दीदियों ने किया कमाल – कचरा नहीं, कमाई का जरिया

राखी गांव की दीदियों ने किया कमाल – कचरा नहीं, कमाई का जरिया

बेमेतरा टेकेश्वर दुबे :  बेमेतरा जिले के साजा ब्लॉक के छोटे से गांव राखी में हाल ही में एक नई उम्मीद की किरण जगी है। इस गांव की स्वच्छता दीदियों ने प्लास्टिक कचरे को समस्या नहीं, बल्कि अवसर में बदल दिया है। यह कहानी है पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरताकी, जो स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत स्थापित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट से शुरू हुई।
पहले गांव के गली-कूचों में बिखरा प्लास्टिक कचरा गांव की सुंदरता को जैसे गुम कर देता था। लेकिन अब वही कचरा दीदियों के लिए कमाई का साधन बन गया है। “माँ जय लक्ष्मी स्व सहायता समूह” की दीदियों ने अपनी लगन और मेहनत से इस चुनौती को अवसर में बदला। वे अब गांव-गांव जाकर कचरा इकट्ठा करती हैं, उसे छांटती हैं और फिर यूनिट की बेलिंग मशीन में बंडल बनाकर रिसाइक्लर्स को बेच देती हैं।

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हर सुबह दीदियों की टोली जब कचरा इकठ्ठा करने निकलती है, तो गांव के बच्चे भी उनमें शामिल होकर सीखते हैं कि स्वच्छता सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि गर्व की बात भी है। राखी गांव की गलियों से निकलकर ये बंडल बड़े-बड़े प्लास्टिक रिसाइक्लिंग उद्योगों तक पहुँचते हैं, जहां से नई चीजें बनकर लौटती हैं।इस पहल से न सिर्फ गांव की सूरत बदली है, बल्कि दीदियों की माली हालत भी बेहतर हुई है। अब उनके घरों में खुशियों की बुनियाद इस कचरे से मिलने वाली कमाई से मजबूत हो रही है। प्लास्टिक का यह परिवर्तन गांव को नयी सोच दे गया – कचरा अब बोझ नहीं, बल्कि कमाई का ज़रिया है।जिले के हर ब्लॉक में अब ऐसे प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट्स काम कर रहे हैं। राखी गांव की यह सफलता कहानी उन सबके लिए प्रेरणा है, जो बदलाव की राह पर चलने को तैयार हैं। साफ-सफाई, पर्यावरण-संरक्षण और दीदियों की आत्मनिर्भरता—ये तीनों बातें अब राखी गांव की पहचान बन गई हैं।यह कहानी बताती है कि जब गांव की महिलाएं ठान लें, तो हर मुश्किल रास्ता आसान बन सकता है!






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