गरीबों के हक पर डाका: उचित मूल्य की दुकानों में 678 क्विंटल चावल का घोटाला, सेल्समैन पर गिरी गाज

गरीबों के हक पर डाका: उचित मूल्य की दुकानों में 678 क्विंटल चावल का घोटाला, सेल्समैन पर गिरी गाज

बलौदाबाजार : ग्राम पंचायत कटगी और खैरा (क) की उचित मूल्य दुकानों में खाद्यान्न वितरण में हुए भारी भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा हुआ है। यह मामला तब उजागर हुआ जब कटगी पंचायत के जागरूक पंचों ने गरीबों के हिस्से का चावल गायब होने की शिकायत कलेक्टर जनदर्शन में दर्ज कराई। इस शिकायत के आधार पर जब संबंधित समितियों और अधिकारियों ने मौके पर भौतिक सत्यापन किया, तो 678.42 क्विंटल चावल की कमी पाई गई, जिससे शासन और प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

तीन महीने का एक साथ वितरण, लेकिन चावल ही गायब

सरकार की योजना के तहत जून, जुलाई और अगस्त माह का चावल एक साथ वितरण होना था। इस कार्य के लिए कटगी व खैरा (क) की उचित मूल्य दुकानों को खाद्यान्न मुहैया कराया गया था। लेकिन शिकायतकर्ताओं के अनुसार, उपभोक्ताओं से अंगूठा लगवाकर वितरण का रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज किया गया, परंतु वास्तविक रूप से लोगों को चावल नहीं मिला। इस फर्जीवाड़े में मुख्य भूमिका सेल्समैन की बताई जा रही है।

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भौतिक सत्यापन में फूटा घोटाले का गुब्बारा

शुक्रवार को प्राथमिक साख सेवा समिति कटगी (पंजीयन क्रमांक 1459) के अध्यक्ष संतोष कश्यप, समिति प्रबंधक दीपक वर्मा, संबंधित दुकानों के विक्रेता और पंचगणों की उपस्थिति में भौतिक सत्यापन किया गया। निरीक्षण के दौरान खुलासा हुआ कि:

कटगी उचित मूल्य दुकान में 105.42 क्विंटल चावल की कमी

खैरा (क) उचित मूल्य दुकान में लगभग 573 क्विंटल चावल का अभाव

कुल मिलाकर 678.42 क्विंटल चावल का गबन


सेल्समैन ने पंचों के समक्ष यह स्वीकारा कि वितरण का ऑनलाइन रिकॉर्ड तो अपडेट कर दिया गया, लेकिन चावल का वितरण वास्तव में नहीं हुआ।

पंचनामा में दर्ज खुलासा: गरीबों का हक मारा गया

भौतिक सत्यापन के बाद पंचों द्वारा तैयार किए गए पंचनामे में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि विक्रेता ने अंगूठा लेकर रिकॉर्ड तो चढ़ा दिया लेकिन वस्तुतः खाद्यान्न नहीं बांटा। यह सीधा सरकारी योजना में भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें गरीब उपभोक्ताओं के साथ विश्वासघात किया गया है।

जनता को नहीं मिला चावल, पर रिकॉर्ड में वितरण

सरकारी रिकॉर्ड में दर्शाया गया है कि चावल वितरित हो चुका है। परंतु उपभोक्ता बताते हैं कि उन्होंने न तो चावल प्राप्त किया और न ही उन्हें सूचना दी गई। यह स्पष्ट रूप से एक संगठित घोटाले की ओर संकेत करता है।

कटगी पंचायत ने उठाई आवाज, प्रशासन ने लिया संज्ञान

पंचों की सक्रियता और जनहित के प्रति सजगता की बदौलत यह घोटाला उजागर हो सका। कटगी पंचायत ने कलेक्टर बलौदाबाजार के जनदर्शन में लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर यह सच्चाई सामने आई है।

अब क्या होगी कार्रवाई?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस मामले में दोषी पाए गए विक्रेता पर क्या कार्रवाई होगी? क्या प्रशासन केवल जांच के नाम पर मामले को दबा देगा, या फिर इस घोटाले में लिप्त लोगों को कड़ी सजा दिलाकर एक उदाहरण पेश करेगा?

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सरकार की योजनाओं में सेंध: किसकी जिम्मेदारी?

सरकार द्वारा नि:शुल्क दिए जाने वाले खाद्यान्न की चोरी न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि यह नैतिक और सामाजिक अपराध भी है। इस तरह की घटनाएं शासन की गरीब कल्याण योजनाओं की साख को प्रभावित करती हैं और असल जरूरतमंद लोगों तक लाभ नहीं पहुंच पाता।---

निष्कर्ष

678 क्विंटल चावल का यह घोटाला सरकारी योजनाओं की निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है। यदि पंचगण जागरूक न होते तो यह भ्रष्टाचार शायद वर्षों तक दबा रहता। अब शासन और प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी है कि दोषियों पर सख्त कार्यवाही कर जनता का विश्वास बहाल करें और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो






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