रायगढ़ : रियासतकालीन परंपरा को संजोए श्री जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट रायगढ़ द्वारा रथोत्सव 2025 की तैयारियाँ पूर्ण कर ली गई हैं। यह पावन उत्सव, जो वर्षों से श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बना हुआ है, इस वर्ष और भी अधिक भव्यता और आध्यात्मिक उल्लास के साथ मनाया जाएगा। 11 जून को देवस्नान पूर्णिमा के पावन अवसर पर महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी का अभिषेक 108 पवित्र जल से किया जाएगा, जो परंपरागत स्नान यात्रा का महत्वपूर्ण अंग है। इसी के साथ रथोत्सव के नियमों का प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन भगवान को छप्पन भोग अर्पित किए जाएंगे, जिनमें विविध प्रकार के मिष्ठान्न, फल, पारंपरिक व्यंजन एवं पकवान सम्मिलित होंगे। साथ ही, विशाल भंडारे का आयोजन भी होगा, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद वितरित किया जाएगा।
पूरे मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है। रथ निर्माण अंतिम चरण में है और पारंपरिक काष्ठ शिल्प की अद्भुत सुंदरता इस रथ में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। रथ की भव्यता इस वर्ष विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी।
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कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय कलाकारों द्वारा भजन-कीर्तन, ओडिसी नृत्य, एवं महाप्रभु के समक्ष संध्या कालीन महाआरती का आयोजन किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु भक्ति में पूरी तरह डूब सकें। देवस्नान के पश्चात 15 दिवसीय "अनवस्था काल" आरंभ होगा, जिसमें भगवान अस्वस्थ माने जाते हैं और मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान औषधीय उपचारों के माध्यम से महाप्रभु को स्वास्थ्य लाभ कराया जाता है। तत्पश्चात आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा (26 जून) को नेत्रोत्सव मनाया जाएगा, जब भगवान पुनः स्वस्थ होकर अपने नेत्र खोलते हैं। 27 जून (द्वितीया) को भगवान रथ पर आरूढ़ होंगे और अगले दिन 28 जून को नगर भ्रमण के लिए प्रस्थान करेंगे।
आठ दिनों तक मौसी मां के घर निवास करने के बाद 5 जुलाई (दशमी) को भगवान मंदिर में वापस आएंगे। इसके अगले दिन 6 जुलाई को सोनाभेष (स्वर्ण अलंकरण) होगा, जो वर्ष में एकमात्र अवसर होता है जब महाप्रभु को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है। इस दिव्य दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं।
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