कोंटा: कोंटा के पास क्रशर प्लांट में माओवादियों के बारूदी विस्फोट के बाद की हवा में बारूद की गंध और दिलों में एक अनजाना डर था। धमाके की गूंज अभी कानों में थी, लेकिन उससे भी तेज हमारे दिलों की धड़कनें थीं।
हम भागे... उस ओर, जहां हमारे 'भाई साहब', हमारे एएसपी आकाश राव गिरपुंजे सर जमीन पर पड़े थे। जब हम वहां पहुंचे तो जो देखा, उसने हमें भीतर तक सुन्न कर दिया। चारों तरफ धुआं, दहशत और बीच में खून से लथपथ हमारे वो अफसर, जो हर मोर्चे पर चट्टान की तरह हमारे आगे खड़े रहते थे।
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यह कहना था एएसपी आकाश के साथ अभियान में मौजूद जवान का। अपना नाम ना बताने की शर्त पर उन्होंने इस घटनाक्रम का प्रत्यक्ष अनुभव हमें बताया।
उनके आखिरी शब्द चुभते हैं...
आज भी धमाके का वो मंजर हमारी आंखों के सामने घूमता है। भाई साहब का वो चेहरा, उनके वो आखिरी शब्द और हमारी वो बेबसी... सब कुछ एक नासूर की तरह चुभता है। अब हमारे मन में गुस्सा है, दर्द है और एक ही सवाल है, जो हमें सोने नहीं देता- हम इस बलिदान का जवाब कैसे दें? अपने उस नेतृत्व को सच्ची श्रद्धांजलि कैसे दें, जिसने हमें कर्तव्य और इंसानियत का सबसे बड़ा पाठ पढ़ाया।
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