भारत में फलों की खेती करने वाले किसानों के लिए मई और जून का महीना बहुत खास होता है. खासतौर से उत्तर भारत के किसानों के लिए यह समय पपीते (Papaya) की खेती शुरू करने का सबसे बेहतर वक्त होता है. पपीता एक ऐसा फल है जो कम देखभाल और कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देता है, और इसकी मांग बाजार में हर समय बनी रहती है. यही वजह है कि पपीते की खेती आज किसानों के लिए एक फायदे का सौदा बन चुकी है. इस लेख में हम आपको पपीते की खेती से जुड़ी पूरी जानकारी देंगे, जिसमें किस्म का चयन, नर्सरी की तैयारी, पौधों की रोपाई, खाद-सिंचाई और मुनाफे तक की सभी बातें शामिल हैं.
बहुउपयोगी और सेहतमंद फल
पपीता एक बहुउपयोगी फल है जिसे सलाद, जूस, सब्जी, जैम और अचार के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके सेवन से पाचन क्रिया सुधरती है, कब्ज में राहत मिलती है और यह लीवर व हृदय की सेहत के लिए लाभकारी माना गया है. पपीते की खेती में एक बार निवेश करने पर लगातार दो साल तक फसल मिलती है, जिससे किसानों को निरंतर कमाई होती रहती है.
पपीते की उन्नत किस्में
बेहतर उत्पादन के लिए सही किस्म का चयन बेहद जरूरी होता है. पपीते की कुछ प्रमुख और उन्नत किस्में इस प्रकार हैं:
पूसा नन्हा
सूर्या
पूसा जायंट
पूसा डेलिशियस
रेड लेडी 786
सीओ–2 और सीओ–5
इन किस्मों में अधिक उत्पादन की क्षमता होती है और रोगों के प्रति प्रतिरोधकता भी अच्छी होती है.
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