हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार का विशेष महत्व है. हर व्रत-त्योहार किसी न किसी देवता से जुड़ा होता है. भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए ऐसा ही एक व्रत है- सोलह सोमवार व्रत.यह व्रत विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं द्वारा रखा जाता है. कुंवारी कन्याएं जहां इस व्रत को सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए रखती हैं, वहीं विवाहित महिलाएं इस व्रत को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं. भगवान शिव का प्रिय सावन महीना शुरू होने वाला है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि 16 सोमवार व्रत कब से शुरू किया जाता है, व्रत से जुड़े खास नियम क्या हैं, व्रत की सही विधि क्या है.
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सोलह सोमवार व्रत कब से शुरू करें?
सोलह सोमवार व्रत किसी भी सावन माह के पहले सोमवार से या श्रावण मास में शुरू करना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है.
यदि सावन में शुरुआत संभव न हो तो किसी भी महीने के पहले सोमवार से भी प्रारंभ कर सकते हैं.
2025 में सोलह सोमवार व्रत की शुरुआत का शुभ समय
सावन का पहला सोमवार (2025)- 14 जुलाई 2025
सावन समाप्ति- 11 अगस्त 2025
सोलह सोमवार व्रत के नियम
16 सोमवार व्रत पूजन विधि
व्रत कथा का पाठ करें
सोलह सोमवार व्रत कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य होता है. कथा में एक महिला द्वारा व्रत करने से उसकी मनोकामना पूर्ण होने की कथा सुनाई जाती है. अंत में शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
आरती
'ॐ जय शिव ओंकारा' या कोई भी शिव आरती करें.
उद्यापन (व्रत पूर्ण होने पर)
16वें सोमवार को व्रत समाप्ति के बाद शिवजी का विशेष पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराएं, वस्त्र व दक्षिणा दें और जरूरतमंदों को दान दें.
विशेष मंत्र
"ॐ नमः शिवाय" का दिनभर जप करें.
महामृत्युंजय मंत्र
"ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।"
सोलह सोमवार व्रत के लाभ
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