इजरायल -ईरान जंग में दुनिया के ताकतवर देश किसके साथ

इजरायल -ईरान जंग में दुनिया के ताकतवर देश किसके साथ

 ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद पश्चिम एशिया में प्रत्यक्ष युद्ध की आशंका बढ़ गई है। इस घटनाक्रम के बाद वैश्विक शक्तियों ने अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट करनी शुरू कर दी है।कई देश खुलकर इजरायल के समर्थन में आ गए हैं, जबकि कुछ राष्ट्रों का झुकाव ईरान की ओर देखा जा रहा है। इस बीच भारत ने तटस्थ रुख अपनाते हुए नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है और शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है।

इजरायल के समर्थन में खड़े देश

ब्रिटेन:

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इजरायल की आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए कहा कि ईरान लंबे समय से मिडिल ईस्ट की स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है। रक्षा मंत्री जॉन हीली ने भी पुष्टि की कि ब्रिटिश सेना ने ईरान से आए मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में इजरायल की मदद की है। प्रधानमंत्री स्टारमर लगातार इजरायली पीएम नेतन्याहू और अन्य वैश्विक नेताओं के संपर्क में हैं।

अमेरिका

इजरायल-ईरान संघर्ष पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायल की तरफ होने की बात कह रहे। उन्होंने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। ट्रंप ने दावा किया है कि उन्हें पहले से पता था कि इजरायल, ईरान पर हमला करने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने खुद इजरायल को इस तरह की कार्रवाई से रोके रखा था।

एक जनसभा को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, मुझे और मेरी टीम को इजरायली हमले की योजना की पूरी जानकारी थी। मैंने ही उन्हें अब तक रोक रखा था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। ट्रंप के मुताबिक, ईरान के पास अब भी मौका है कि वह न्यूक्लियर डील को मान ले, वरना उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

फ्रांस:

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि उनका देश इजरायल की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। फ्रांस पहले ही मिडिल ईस्ट में अतिरिक्त सैन्य संसाधन भेज चुका है और भविष्य में भी सहयोग जारी रखने का आश्वासन दिया है।

ईरान के पक्ष में या उसके करीब खड़े देश

रूस:

रूस और ईरान के बीच दशकों पुराने रिश्ते हैं। पश्चिमी विचारधारा का विरोध इन दोनों देशों को एक मंच पर लाता है। यूक्रेन युद्ध के दौरान ईरान ने रूस को हथियार और ड्रोन जैसी मदद उपलब्ध कराई थी, जिससे दोनों देशों के सामरिक संबंध और मजबूत हुए हैं।

तुर्की:

राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने पहले भी इजरायल के सैन्य अभियान की आलोचना की है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से इजरायल को रोकने की अपील की और कहा कि मिडिल ईस्ट में शांति के लिए इजरायल की कार्रवाई को तत्काल रोका जाना चाहिए।

चीन:

चीन ने हाल के महीनों में वरिष्ठ ईरानी अधिकारियों के साथ कई वार्ताएं की हैं और हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच संघर्ष की आशंका को देखते हुए ईरान के लिए समर्थन जाहिर किया है।

लेबनान:

ईरान समर्थित संगठन हिजबुल्लाह के ठिकानों से संचालित लेबनान, लंबे समय से इजरायल का विरोधी रहा है। हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान ने इजरायल पर हमला तेज कर दिया।

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यमन:

ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों ने इजरायल पर हमले की कोशिश की, जो विफल रही। मिडिल ईस्ट संघर्ष में ये विद्रोही ताकत एक अहम पक्ष के रूप में उभरकर सामने आए हैं।

सीरिया:

सीरिया भी लंबे समय से ईरान के साथ खड़ा है और कई अवसरों पर उसे सैन्य और रणनीतिक समर्थन देने की बात करता रहा है।

भारत की स्थिति: तटस्थ लेकिन चिंतित

भारत ने मौजूदा हालात पर तटस्थ रुख अपनाया है और अपने नागरिकों के लिए ईरान व इजरायल में सुरक्षा से संबंधित एडवाइजरी जारी की है। विदेश मंत्रालय ने इस मसले का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की अपील की है। हालांकि भारत ने 1988 में फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन वर्तमान में भारत की नीति संतुलित और कूटनीतिक बनी हुई है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा और वेस्ट बैंक से इजरायली कब्जे को खत्म करने के प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से दूरी बनाई थी। इस मतदान में जहां 124 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, वहीं भारत समेत 43 देश मतदान से दूर रहे। BRICS समूह के सदस्य देशों में भारत अकेला देश था जिसने वोटिंग में भाग नहीं लिया।

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युद्ध की आहट और वैश्विक ध्रुवीकरण

ईरान-इजरायल टकराव अब केवल दो देशों का मामला नहीं रहा। इसमें वैश्विक महाशक्तियां अपनी रणनीतिक और राजनीतिक स्थिति के साथ शामिल होती जा रही हैं। जहां अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे पश्चिमी देश इजरायल के साथ खड़े हैं, वहीं रूस, चीन और अन्य देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ईरान के करीब नजर आ रहे हैं। भारत, फिलहाल मध्यस्थ भूमिका में बना हुआ है और संघर्ष को रोकने की अपील कर रहा है।






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