भगवान जगन्नाथ को क्यों लगाया जाता है मालपुए का भोग? कहां से आता हैं प्रभु जगन्नाथ का भोग?

भगवान जगन्नाथ को क्यों लगाया जाता है मालपुए का भोग? कहां से आता हैं प्रभु जगन्नाथ का भोग?

जगन्नाथ मंदिर से शुरू होने वाली भव्य रथ यात्रा जल्द ही शुरू होने वाली है। इस यात्रा में भाग लेने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। यह यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है।जो इस साल 27 जून से होगी। इस शुभ अवसर पर भगवान को कुछ खास तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसे महाभोग कहते हैं। भगवान जगन्नाथ को मालपुआ का भोग लगाया जाता है, उसके बाद ही यात्रा शुरू होती है।

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मालपुआ का प्रसाद

कहते हैं कि भगवान जगन्नाथ हर साल अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं। दशकों पुरानी इस परंपरा के अनुसार खलासी समुदाय के लोग भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ खींचते हैं। भगवान जगन्नाथ को मालपुआ बहुत पसंद है, इसलिए यात्रा के दिन उन्हें खास तौर पर मालपुआ का भोग लगाया जाता है।

कहां से आता है प्रसाद ?

यह मालपुआ छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले से लाया जाता है और भगवान जगन्नाथ को चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद को पाने के लिए भक्त घंटों कतार में खड़े रहते हैं। मालपुआ केवल यात्रा के दिन ही बनाया जाता है और भगवान को भोग लगाने के बाद इसे भक्तों में बांटा जाता है।

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