नई दिल्ली : CBDT ने आयकर रिटर्न की अनिवार्य जांच के लिए कुछ शर्तें (ITR Scrutiny Rules) तय की हैं। अगर किसी टैक्सपेयर का मामला इन शर्तों से मेल खाता है, तो धारा 143(2) के तहत नोटिस मिलना निश्चित है। ऐसे मामलों में जांच से बचना संभव नहीं है। हालांकि, अगर टैक्सपेयर पहले से ही सभी दस्तावेज तैयार रखे, तो नोटिस का जवाब तुरंत और सही तरीके से देकर टैक्स डिमांड से बचा जा सकता है। CBDT ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों को प्रिंसिपल कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (PCIT) की मंजूरी के बिना बंद नहीं किया जा सकता। इस बदलाव (ITR Rules) के बारे में बता रहे हैं टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के पार्टनर विवेक जालान…
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इन मामलों पर लागू होगी अनिवार्य स्क्रूटनी
1. सर्वे केस: 1 अप्रैल 2023 के बाद धारा 133A (133A(2A) को छोड़कर) के तहत हुए सर्वे से जुड़े सभी रिटर्न।
2. खोज/जब्ती केस: 1 अप्रैल 2023 से 1 अप्रैल 2025 के बीच धारा 132/132A के तहत की गई कार्रवाई वाले सभी मामले।
3. रद्द रजिस्ट्रेशन: 31 मार्च 2024 से पहले धारा 12A, 12AB या 10(23C) के तहत रद्द किए गए रजिस्ट्रेशन वाले संस्थान।
4. पिछले मामलों में बड़े एडिशन: अगर पिछले आकलन में मेट्रो शहरों में 50 लाख या अन्य जगहों पर 20 लाख रुपए से अधिक की आय जोड़ी गई हो और उस पर अपील नहीं की गई हो या अपील खारिज हो चुकी हो।
5. कानूनी एजेंसियों की जानकारी: CBI, ED या अन्य एजेंसियों द्वारा चिन्हित मामले।
6. रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम: हाई-रिस्क वाले फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन या रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा चिन्हित मामले।
7. पुनः खोले गए असेसमेंट: जिन मामलों को दोबारा खोला गया है।
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किन मामलों में अनिवार्य जांच नहीं होगी?
इन दिशा-निर्देशों को समझकर टैक्सपेयर अनुपालन में गलतियों और टैक्स विभाग के अचानक नोटिस से बच सकते हैं।
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