भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए भी एकादशी तिथि को काफी उत्तम माना जाता है। एकादशी व्रत का पारण करना भी जरूरी माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप योगिनी एकादशी पर पारण का समय क्या रहेगा। साथ ही जानते हैं पारण की विधि और नियम।
योगिनी एकादशी का पारण 22 जून को किया जाएगा। पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 6 बजकर 11 मिनट है। एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं किया जाता। ऐसे में पारण का समय सुबह 6 बजकर 11 मिनट से सुबह 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
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पारण की विधि
एकादशी व्रत के पारण के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान से निवित्त हो जाएं और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें और उन्हें पीले फूल और वस्त्र अर्पित करें। तुलसी डालकर पंचामृत का भोग लगाएं, क्योंकि इसके बिना विष्णु जी का भोग अधूरा माना जाता है। शुभ फलों की प्राप्ति के लिए पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप भी करें। अपने मुंह में तुलसी का पत्ता रखकर एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए।
न करें ये गलतियां
पारण के दिन लहसुन-प्याज के साथ-साथ मूली, बैंगन, साग, मसूर दाल आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन पर आपको अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों और गरीब लोगों को भोजन करवाना चाहिए। इसके साथ ही दान-दक्षिणा भी देनी चाहिए। इससे प्रभु श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखते हैं।
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भगवान विष्णु के मंत्र
पारण के दौरान भगवान विष्णु की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप भी जरूर करें, ताकि आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो।
1. 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2. ॐ विष्णवे नमः
3. श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि
4. भगवान विष्णु गायत्री मंत्र - ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात:
5. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
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