मानसून के आगमन से पहले जहां एक ओर पर्यावरण में ठंडक घुलती है, वहीं घरों में सीलन, जलभराव और नेगेटिव एनर्जी का खतरा भी बढ़ जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, वर्षा ऋतु से पहले कुछ विशेष तैयारियां कर लेने से न केवल घर की सुंदरता और स्वच्छता बनी रहती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है।
जल तत्व की दिशा का रखें ध्यान
वास्तु शास्त्र के अनुसार जल तत्व का स्थान उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में होता है। ऐसे में वर्षा का जल संग्रह, पानी की टंकी, फव्वारे आदि की व्यवस्था इन दिशाओं में ही होनी चाहिए। यदि इन स्थानों पर कोई अवरोध है, तो उसे मानसून से पहले हटा देना चाहिए ताकि वर्षा का जल सही दिशा में प्रवाहित हो और किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो।
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बरसात से पहले करा लें जरूरी मरम्मत
घर की दीवारों में दरारें, सीलन या पानी का रिसाव वास्तु के अनुसार नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। इसलिए बारिश शुरू होने से पहले घर की पूरी जांच कर लें और जहां भी मरम्मत की आवश्यकता हो, उसे समय रहते पूरा करें। नालियों की सफाई और पानी की निकासी की सही व्यवस्था भी बेहद जरूरी है।
जांचें भूमि का ढलान
वास्तु के अनुसार भूमि का ढलान उत्तर से दक्षिण-पूर्व या पूर्व से पश्चिम की ओर होना चाहिए ताकि जल का उचित प्रवाह बना रहे। मुख्य द्वार पर पानी जमा न हो, इसका विशेष ध्यान रखें, क्योंकि वहां जल भराव नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर सकता है।
अग्नि दिशा को रखें सूखा
घर की दक्षिण और दक्षिण-पूर्व दिशा अग्नि तत्व की मानी जाती है। यहां पर जल का जमाव या गंदगी वास्तु दोष पैदा कर सकती है। इसलिए इन दिशाओं की अच्छी तरह जांच कर लें और आवश्यकता हो तो इस क्षेत्र की मरम्मत करवा लें।
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स्वच्छता और सुगंध का रखें ध्यान
मानसून के दौरान घर को साफ और सूखा रखना बेहद जरूरी है। नमी और सीलन की बदबू से बचने के लिए घर में लोबान, फिटकरी या एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग करें। यह वातावरण को शुद्ध करने के साथ ही मानसिक शांति भी प्रदान करते हैं।



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