विंध्यक्षेत्र के किसानों के सामने सबसे ज्यादा समस्या धान के पैदावार और बेमौसम बारिश है. ऐसे में किसान धान की बजाय अलग-अलग खेती करते हैं. अगर आप भी मिर्जापुर या सोनभद्र में धान की खेती करना चाहते है तो बीएचयू द्वारा निर्मित वैरायटी की खेती करें.
मिर्जापुर पठारी क्षेत्र है. यहां पर पानी की भी समस्या सबसे अधिक है. ऐसे में बीएचयू के द्वारा निर्मित एचयूआर 917 वैरायटी धान की खेती किसान कर सकते हैं. कम सिंचाई के साथ ही बेहतर पैदावार होगा.एचयूआर 917 वैरायटी 140 से 145 दिनों में पककर तैयार हो जाता है. इसकी लम्बाई 100 से 100 सेंटीमीटर होती है. चार महीने में पकने वाली वैराइटी विंध्यक्षेत्र के किसानों के लिए खास है.
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एचयूआर वैराइटी न सिर्फ कम पानी में पैदा होता है. बल्कि, प्रति हेक्टेयर 55 से 60 कुंतल पैदावार होता है. खाने में भी यह काफी स्वादिष्ट होता है. खुश्बू ऐसी रहती है कि आप खुद को खाने से रोक नहीं सकते हैं.एचयूआर विन्धयक्षेत्र के मौसम के अनुकूल है. ज्यादा बारिश होने पर या तेज हवा चलने पर भी यह खराब नहीं होता है. अन्य फसलों की अपेक्षा कम नुकसान होता है और ज्यादा पैदावार होता है.
जो भी किसान एचयूआर 917 वैराइटी की खेती करना चाहते है तो कृषि विज्ञान केंद्र से बीज खरीद सकते हैं. 45 सौ रुपये प्रति कुंतल की दर से किसानों के लिए उपलब्ध है.
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर श्रीराम सिंह ने बताया कि एचयूआर 917 वैराइटी किसानों के लिए बेहद फ़ायदेमंद है. कम सिंचाई और विपरीत मौसम में भी खेती हो सकती है. प्रति हेक्टेयर 60 कुंतल तक पैदावार आसानी से हो सकता है.
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