अगर आप भी जोड़ों के दर्द, सूजन, थकान या पेट की समस्याओं से परेशान हैं, तो आयुर्वेद में एक ऐसा समाधान मौजूद है जो हजारों साल से इलाज का हिस्सा रहा है, गुग्गुल। यह औषधि 'कोमीफोरा मुकुल' नामक पौधे से प्राप्त की जाती है और इसे संस्कृत में 'गुग्गुलु', 'महिषाक्ष' और 'पद्मा' जैसे नामों से जाना जाता है।
गुग्गुल को आयुर्वेद में एक बेहद प्रभावशाली दवा माना गया है। खास बात यह है कि यह शरीर के तीनों दोष-वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है। लेकिन यह विशेष रूप से वात दोष को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी होता है, जो कि जोड़ दर्द, गठिया और सूजन जैसी समस्याओं के पीछे मुख्य कारण होता है।
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1000 से अधिक बीमारियों में फायदेमंद
आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथों जैसे चरक संहिता में गुग्गुल को मोटापा कम करने के लिए उपयोगी बताया गया है, वहीं सुश्रुत संहिता में इसका उल्लेख 1000 से अधिक बीमारियों के इलाज में किया गया है। सर्जरी से जुड़ी सूजन और शरीर की अंदरूनी सफाई में भी इसे कारगर माना गया है।
गैस से लेकर हार्मोन असंतुलन तक असरदार
गुग्गुल में क्रोमियम, एंटीऑक्सिडेंट्स और जरूरी विटामिन्स पाए जाते हैं, जो इसे शरीर के लिए और भी लाभकारी बनाते हैं। यह कब्ज, गैस, खट्टी डकार, एसिडिटी और बवासीर जैसी पेट की समस्याओं में भी राहत देता है। इसके अलावा यह त्वचा रोग, रक्त विकार, कान की दुर्गंध और हार्मोनल समस्याओं में भी असरदार है। खासतौर पर 'कांचनार गुग्गुल' को थायरॉइड और पीसीओडी जैसी बीमारियों में लाभकारी माना जाता है।
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शरीर की गहराई से करता है शुद्धिकरण
इसकी गर्म तासीर और कड़वा स्वाद इसे शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक बनाता है। यह शरीर को अंदर से शुद्ध करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। हालांकि, गुग्गुल का सेवन हमेशा आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति की प्रकृति और रोग अलग होता है। सही मात्रा और तरीके से इसका सेवन लंबे समय तक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
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