भिलाई : ‘लोकमया’ एवं ‘अगासदिया’ परिवार के लेखक तथा कलाकारों ने सद्भावना केन्द्रों की यात्रा की। इस दौरान धरसीवां चरोदा के पूर्व सरपंच और प्रख्यात समाज सेवी बाबू खान द्वारा बनवाए गए विष्णु कुंड तथा भव्य शिव मंदिर को लेखकों ने देखा। लेखकों का प्रतिनिधिमंडल सामाजिक सद्भाव की मिसाल ग्राम पंचायत हथबंद के मस्जिद भी गया। इस दौरान लोककला व संस्कृति के प्रति समर्पित लोगों के साथ लेखकों ने मुलाकात भी की। बाल कविताओं के लेखन के लिए चर्चित कमलेश चंद्राकर के नेतृत्व में ‘अगासदिया’ परिवार के लेखक डॉ. परदेशीराम वर्मा, अशोक आकाश और शायर अब्दुल कलाम साम्प्रदायिक सद्भाव के इन केंद्रों की पर यात्रा पर गए थे।
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बाबू खान के संकल्प से बने है विष्णु कुंड और शिव मंदिर
अपनी सद्भावना यात्रा से लौट कर लेखकों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सद्भाव का एक चर्चित केन्द्र धरसीवां चरोदा में बना विष्णु कुंड तथा भव्य शिव मंदिर है। 1971-72 में धरसीवां चरोदा के तत्कालीन सरपंच प्रख्यात समाज सेवी बाबू खान ने इस विराट मंदिर को बनाने का संकल्प लिया। सभी के सहयोग से बाबू खान ने तब चार एकड़ के क्षेत्र में बने इस मंदिर की आधार शिला रखी थी। डा. परदेशीराम वर्मा का कहना है कि यहां बाबू खान का नाम इतना प्रचलित है कि इस मंदिर में जाने वाले लोग रास्ते में पूछते हैं कि बाबू खान का शिव मंदिर किधर है। उन्होंने बताया कि चरोदा में शानदार मस्जिद भी पास ही है। यहां मुस्लिमों की अच्छी खासी संख्या है। इस दौरान लोकमया के कलाकार अलबेला खान तथा भगवती साहू ने बाबू खान और उनके बनाए मंदिर की विस्तार से जानकारी दी।
सर्वधर्म सहयोग से बनाई गई है मस्जिद
लेखकों का प्रतिनिधिमंडल चरोदा के बाद हम हथबंद बस्ती पहुंचा। यहाँ प्रसिद्ध साहित्यकार चोवाराम बादल एवं मुबारक हुसैन ने लेखकों का स्वागत किया। इस छोटे से कस्बे में सभी धर्मों के लोगों के सहयोग से मस्जिद समिति के प्रमुख लेखक मुबारक हुसैन के नेतृत्व में मस्जिद का निर्माण हुआ है। यहाँ के मुसलमान दूसरे कस्बों में नमाज अदा करने जाते थे। तब सरदार खान ने तीन डिसमिल जमीन दान में दी। तब इस मस्जिद के निर्माण को आधार मिला। मुस्लिम इत्तेहाद कमेटी के अध्यक्ष मुबारक हुसैन बनाए गए। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि विभिन्न समाजों, भिन्न-भिन्न धर्मों के लोगों ने सहयोग दिया। यह जामा मस्जिद 1996 में पूर्ण रूप से बन पाई। तत्कालीन मंत्रीगण गंगूराम पटेल और मोहम्मद अकबर ने भी इसमें सहयोग दिया। गायत्री परिवार, स्काउट गाइड संगठन का सम्मान मस्जिद में देखते ही बना।
भेद नहीं कर पाए अजीमुद्दीन और भगवती में
लेखकों ने बताया कि इस यात्रा में धनेली के अजीमुद्दीन अलबेला एवं गायक भगवती साहू को ‘लोकमंच’ के अध्यक्ष महेश वर्मा ने भेजा था। लेखक यहां वेशभूषा एवं पहरावें से अजीमुद्दीन अलबेला को हिन्दू और भगवती को मुसलमान अलबेला समझते रहे। भगवती दाढ़ी, पाजामा ओैर टोपी के साथ पहुंचे थे जबकि अजीमुद्दीन कुर्ता पाजामा पहनकर आए और सबको उन्होंने नमस्कार किया। काफी देर बाद लेखकों को दोनों की हकीकत पता चली।
मस्जिद के इमाम रहे हैं नाचा के कलाकार
जामा मस्जिद हथबंध के पेश इमाम इनायत खान हैं। वे नाचा के प्रसिद्ध कलाकार रहे। इनायत यहां न सिर्फ नमाज पढ़ा रहे हैं बल्कि मुअज्जिन के तौर पर अजान देने का दायित्व भी निभा रहे हैं। मस्जिद में सम्मान के अवसर पर डॉ. परदेशीराम वर्मा ने कहा कि छोटे से गाव हथबंध और चरोदा हमारे छत्तीसगढ़ का सही परिचय देते हैं। देश भर में हमारा छत्तीसगढ़ शांति और सद्भाव का प्रदेश माना जाता है। संत पवन दीवान कहते थे कि देश को हम भारत माता कहते हैं और छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़ महतारी।
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