उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन 27 जून 2025 को रथ यात्रा निकाली जाएगी। इस मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं रथ यात्रा के बाद इस रथ का क्या होगा?
क्या उसके किसी हिस्से को आप बतौर याद अपने पास रख सकते हैं? क्या उस विशालकाय रथ का पूरा हिस्सा बिकता है? बाकी की लकड़ी का क्या होता है? श्री जगन्नाथ मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इन हिस्सों की नीलामी की जाती है।
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पहियों की कीमत होगी इतनी
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन कमेटी (Shree Jagannath Temple Administration) ने कुछ दिनों पहले रथ यात्रा के बाद रथों के हिस्सों को अलग-अलग करके बिक्री के लिए उपलब्ध कराने की मानक संचालन प्रक्रिया यानी SOP जारी की थी। इसमें बताया गया था कि भगवान जगन्नाथ के रथ (Jagannath's Nandighosh chariot) के पहिए की कीमत तीन लाख रुपए होगी, जो पहले एक लाख रुपए थी।
इसी तरह भगवान बलदेव के रथ तालध्वज (Balabhadra's Taladhwaja chariot) के पहिए की कीमत दो लाख रुपए होगी, जो पहले 60 हजार रुपए थी। वहीं, सुभद्रा के रथ दर्पदलन (Subhadra's Darpadalana chariot) के पहिए की कीमत डेढ़ लाख रुपए तय की गई है, जो पहले 50 हजार रुपये थी।
पिछले साल मिले थे 55 लाख रुपए
इसके अलावा रथ के अन्य घटकों भुज और अंसुरी के भागों की कीमत 15 हजार रुपए और प्रभा की कीमत 25 हजार रुपए होगी। मंदिर प्रशासन के डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर देवव्रत साहू ने एक मीडिया रिपोर्ट में बताया था कि पिछले साल रथ के पुर्जों को बेचने के लिए हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी।
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मंदिर प्रशासन कमेटी को 55 लख रुपए मिले थे। रथ के मुख्य पुर्जों की नीलामी के बाद में बची हुई लकड़ी को मंदिर की रसोई में पहुंचाया जाता है। इस लकड़ी का इस्तेमाल भगवान के महाप्रसाद यानी 56 भोग को बनाने के लिए किया जाता है। रथ के पवित्र हिस्सों को खरीदने के लिए भक्तों को आवेदन करना होता है, जो मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करके किया जा सकता है।
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