नई दिल्ली : चार राज्यों में हुए पांच विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से वर्तमान राजनीति में किसी तरह की तात्कालिक उथल-पुथल नहीं होगी मगर इन सूबों की भविष्य की सियासत की आहट के कुछ संकेत तो जरूर हैं। विशेषकर केरल की नीलांबर सीट सत्ताधारी एलडीएफ गठबंधन से छीन कांग्रेस ने अगले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी उम्मीदों को नया पायदान दिया है।
मगर पंजाब में अकाली दल के हाशिए पर जाने के बाद भी उपचुनाव में आम आदमी पार्टी से पिछड़ना और गुजरात की विसादर सीट पर भी आप की जीत से साफ है कि इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की जमीनी सियासी चुनौतियां अभी बनी हुई हैं। जबकि दिल्ली की करारी शिकस्त के बाद उपचुनाव के इस नतीजे ने लगभग ठहराव में दिख रही आप को राजनीतिक सक्रियता की नई उम्मीद दी है।
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गुजरात की अपनी एक सीट बचाए रखने में सफल हुई भाजपा
पश्चिम बंगाल की एक सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने अपनी जीत का अंतर बढ़ाते हुए भाजपा की आक्रामक सियासत के बावजूद दमखम के साथ जमीन पर अपने पांव जमाए रखने का संदेश दिया है। वहीं भाजपा गुजरात की अपनी एक सीट बचाए रखने सफलता के बाद भी दूसरी सीट पर आप को हराने में नाकाम रही।
विधानसभा उपचुनाव के ताजा नतीजे समग्रता में विपक्षी आइएनडीआइए गठबंधन के लिए चाहे बेहतर दिखाई दें मगर राजनीतिक हकीकत यह भी है कि केरल तथा पंजाब में मुकाबला इनका आपस में ही था और भाजपा मुख्य चुनावी दौड़ में नहीं थी।
इस लिहाज से केरल के नीलांबुर सीट पर उपचुनाव में जीत कांग्रेस को 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव की दृष्टि से सत्ता का रास्ता दिखा रही है। कांग्रेस की सत्ता की उम्मीदों का बनता यह रास्ता स्वाभाविक रूप से बीते करीब 10 साल से केरल की सत्ता में काबिज वामपंथी दलों के गठबंधन के लिए चिंता का सबब है।
आइएनडीआइए गठबंधन के मजबूत स्तंभों में एक वामपंथी दल पश्चिम बंगाल तथा त्रिपुरा की सियासत में हाशिए पर जाने के बाद केरल कर सत्ता के सहारे अपनी राजनीति प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। जबकि सूबे के बड़े नेताओं की गुटबाजी की चुनौतियों के बावजूद मिली जीत कांग्रेस के लिए इस लिहाज से राहतकारी है कि केरल में उसके कार्यकर्ता तथा जमीनी संगठन की ताकत बरकरार है।
नीलांबुर के परिणाम वायनाड़ से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए भी सकारात्मक है क्योंकि यह सीट उनके संसदीय इलाके में आती है और उपचुनाव प्रचार में भी वे उतरीं थी। जबकि लुधियाना में आप की सीट बचाए रखने की कामयाबी से साफ है कि पंजाब में भगवंत मान सरकार के खिलाफ सियासी माहौल बनने का दावा कर रही कांग्रेस के लिए अगला चुनाव सहज नहीं रहेगा जैसा अभी तक वह दावा करती रही है। गुजरात की विसावदर सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया की जीत भाजपा तथा कांग्रेस दोनों के लिए झटका रही।
गुजरात की राजनीति में आप को हाशिए पर ले जाने की कांग्रेस की कोशिश जहां फलीभत होते हुए नहीं दिखी वहीं भाजपा का आप के सीटिंग विधायक को तोड़कर दुबारा अपने टिकट पर मैदान में उतारने का दांव नाकाम हो गया। हालांकि भाजपा ने सूबे के कड़ी की अपनी दूसरी सीट बचाए रखी। लेकिन पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की कालीगंज विधानसभा सीट के उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार की जीत का अंतर पहले से अधिक होना भाजपा की चिंता बढ़ाने वाला है।
कालीगंज में 28 हजार से अधिक मत लेकर कांग्रेस उम्मीदवार के तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद टीएमसी के लिए भाजपा कोई मुश्किल नहीं खड़ी कर पायी। उपचुनाव का दिलचस्प पहलु यह भी है कि बंगाल में ममता बनर्जी, पंजाब में आप तो गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा तीनों अपनी-अपनी सीटें बचाए रखने में कामयाब रही मगर केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ ने कांग्रेस के हाथों अपनी सीट गंवा दी।
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