शिक्षा मंत्रालय ने दिए निर्देश,पढ़ाई किसी भी भाषा में हो, परीक्षा दे सकेंगे पसंदीदा भाषा में

शिक्षा मंत्रालय ने दिए निर्देश,पढ़ाई किसी भी भाषा में हो, परीक्षा दे सकेंगे पसंदीदा भाषा में

नई दिल्ली : उच्च शिक्षण संस्थानों में इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित उच्च शिक्षा के दूसरे पाठ्यक्रमों की पढ़ाई भले ही अब तक सभी भारतीय भाषाओं में नहीं शुरू हो सकी है लेकिन छात्र अब इन विषयों की परीक्षा जरूर अपनी पसंद की भाषा में दे सकेंगे।

शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी और एआइसीटीई के जरिये अमल के दिए निर्देश

भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने सहित उच्च शिक्षा में छात्रों के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाने में जुटे शिक्षा मंत्रालय ने यह बड़ी पहल की है। साथ ही यूजीसी, एआइसीटीई सहित उच्च शिक्षा से जुड़े सभी नियामकों को इस पर अमल के निर्देश दिए है।

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इसके तहत किसी भी छात्र ने भले ही किसी भी पाठ्यक्रम की पढ़ाई अंग्रेजी या किसी दूसरी भाषा में ली है लेकिन इस व्यवस्था में उन्हें अपनी पसंद की भाषा में उसकी परीक्षा देने की छूट मिलेगी। हालांकि छात्रों को परीक्षा से पूर्व संस्थान को इसकी जानकारी देनी होगी।

परीक्षा से पहले छात्रों को बताना होगा परीक्षा देने की भाषा का माध्यम

वैसे तो यूजीसी ने इसे लेकर एक गाइडलाइन दो साल पहले ही तैयार की थी, लेकिन उस पर अभी तक अमल शुरू नहीं हुआ था। मंत्रालय की मानें तो उच्च शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश भी दिया है कि भारतीय भाषाओं में जो पाठ्यक्रम तैयार करें, उनमें तकनीकी शब्दों में किसी भी तरह का बदलाव न करते हुए उन्हें उसी रूप में ही छात्रों को पढ़ाएं।

नीट जैसी परीक्षाओं का आयोजन अंग्रेजी सहित 13 भारतीय भाषाओं में हो रहा

इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई के दौरान छात्रों की भौगोलिक स्थिति का भी ध्यान रखने को कहा गया है। मंत्रालय ने यह पहल ऐसे समय की है जब जेईई मेन, नीट जैसी परीक्षाओं का आयोजन अंग्रेजी सहित 13 भारतीय भाषाओं में हो रहा है।

साथ ही इन सभी भाषाओं में परीक्षा देकर छात्र इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित उच्च शिक्षा से जुड़े दूसरे पाठ्यक्रमों में दाखिला ले रहे है। यानी हिंदी, कन्नड़, तमिल या फिर उर्दू भाषा में परीक्षा देकर आए छात्र इन पाठ्यक्रमों में दाखिला तो ले लेते हैं लेकिन अंग्रेजी भाषा में कराई जाने वाली यह पढ़ाई उनके रास्ते की एक बड़ी बाधा बनती दिखाई देती है।

भारतीय भाषाओं में पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक वैसे तो सभी संस्थानों को इन पाठ्यक्रमों को सभी भारतीय भाषाओं में पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है लेकिन जब तक इस पर पूरी तरह अमल शुरू नहीं हो जाता और सभी भाषाओं में पाठ्यक्रम सामने नहीं आ जाते हैं, तब तक उन्हें परीक्षा की भाषा के विकल्प को चुनने की छूट रहेगी।

अभी जो देखने को मिलता है कि उसमें छात्रों को अंग्रेजी भाषा में कराई जाने वाली पढ़ाई में विषय को पढ़ने या समझने से ज्यादा दिक्कत लिखने में होती है। वह अपने ज्ञान को अंग्रेजी भाषा में बेहतर ढंग से प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं जबकि मातृभाषा या स्थानीय भाषा में वह बेहतर कर सकते हैं।

उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) भी करीब 29 प्रतिशत

गौरतलब है कि नीट-यूजी और जेईई मेन की परीक्षा मौजूदा समय में हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी, गुजराती, मराठी, बांग्ला, असमिया, कन्नड़, उडि़या, मलयालम, तमिल और तेलुगु भाषा में आयोजित होती है। वहीं उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) भी करीब 29 प्रतिशत है।

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