आज यानी 26 जून को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। हर साल से इस तिथि से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होती है। गुप्त नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूजा ओर व्रत करने से मां दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पंचांग और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त के बारे में।
तिथि: शुक्ल प्रतिपदा
मास पूर्णिमांत: आषाढ़
दिन: गुरुवार
संवत्: 2082
तिथि: प्रतिपदा दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक
योग: ध्रुव रात्रि 11 बजकर 40 मिनट तक
करण: बव दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक
करण: 27 जून को बलव प्रातः 12 बजकर 17 मिनट तक
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गुप्त नवरात्र 2025 घटस्थापनामुहूर्त
वैदिक गणना अनुसार, 26 जून को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक है और अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय घटस्थापना कर पूजा-अर्चना की जा सकती है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 25 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 23 मिनट पर
चंद्रोदय: सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर
चन्द्रास्त: रात 08 बजकर 38 मिनट पर
सूर्य राशि: मिथुन
चंद्र राशि: मिथुन
पक्ष: शुक्ल
शुभ समय अवधि
अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक
अमृत काल: 27 जून से प्रात: 05 बजकर 06 मिनट से प्रात: 06 बजकर 36 मिनट तक जून
अशुभ समय अवधि
गुलिक काल: प्रात: 08 बजकर 55 मिनट से प्रात: 10 बजकर 39 मिनट तक
यमगंडा: प्रात: 05 बजकर 25 मिनट से प्रात: 07 बजकर 10 मिनट तक
राहु काल: दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से दोपहर 03 बजकर 53 मिनट तक
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आज चंद्रदेव आर्द्र नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…
आर्द्र नक्षत्र: प्रात: 08 बजकर 46 बजे तक
सामान्य विशेषताएं: परिवर्तनशील स्वभाव, चतुर और चालाक, क्रोधी स्वभाव, बुद्धिमान, भौतिकवादी और थोड़ा अविश्वसनीय स्वभाव
नक्षत्र स्वामी: राहु
राशि स्वामी: बुध
देवता: रुद्र (भगवान शिव)
प्रतीक: अश्रुबिंदु (आंसु की बूंद)
गुप्त नवरात्र का धार्मिक महत्व
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानी आज से प्रारंभ होने वाली यह नवरात्र गुप्त रूप से साधना के लिए प्रसिद्ध होती है। इस समय देवी दुर्गा के नौ रूपों के साथ-साथ दस महाविद्याओं की भी विशेष उपासना की जाती है। तांत्रिक साधकों के लिए यह काल अत्यंत शुभ और सिद्धि प्रदायक होता है।
आषाढ़ नवरात्र अवधि-
आरंभ: गुरुवार, 26 जून 2025 (शुक्ल पक्ष प्रतिपदा)
समापन: शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 (नवमी तिथि)
पूजन विधि के मुख्य बिंदु-
प्रातः घटस्थापना करें, जल, रोली, मौली, सुपारी, चावल से कलश स्थापित करें।
मां दुर्गा के प्रतिदिन अलग-अलग रूपों की पूजा करें।
दुर्गा सप्तशती, कवच, अर्गला स्तोत्र या देवी महात्म्य का पाठ करें।
मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज़ से परहेज रखें, सात्विकता बनाए रखें।
9 दिन तक फलाहार या उपवास करें, और नवमी को कन्या पूजन कर पारणा करें।
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