नई दिल्ली : हेडिंग्ले टेस्ट में इंग्लैंड से पांच विकेट की हार भारतीय टीम के लिए सिर्फ एक मैच गंवाना नहीं, बल्कि सीरीज की सबसे बड़ी रणनीतिक चूक साबित हो सकती है।यह वही टेस्ट था, जिसे जीतकर भारत सीरीज में बढ़त बना सकता था। पिच बल्लेबाजों के अनुकूल थी और इंग्लैंड का गेंदबाजी आक्रमण भी उतना घातक नहीं था, लेकिन भारत इस सुनहरे मौके को भुना नहीं पाया।
खराब क्षेत्ररक्षण और गेंदबाजी के चलते टीम को हार झेलनी पड़ी। अब भारतीय टीम को दो जुलाई को शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट मुकाबले में बर्मिंघम के उस एजबेस्टन मैदान पर उतरना है, जहां वह आज तक जीत नहीं पाई है।
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एजबेस्टन में भारत का रिकॉर्ड
भारत ने एजबेस्टन में अब तक सात टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से छह में उसे हार मिली है, जबकि एक टेस्ट मैच ड्रॉ रहा है। यह मैदान हमेशा से तेज गेंदबाजों को मदद देने के लिए जाना जाता है और माना जा रहा है कि अगले टेस्ट मैच के लिए जोफ्रा आर्चर उपलब्ध रहेंगे, जिससे इंग्लैंड के तेज गेंदबाजी आक्रमण को और धार मिलेगी।
इसके साथ ही मार्क वुड जल्द ही वापसी होगी, जिससे आगामी मैचों में इंग्लिश टीम आर्चर, वुड और वोक्स की तिकड़ी के साथ मैदान पर उतरेगी। वहीं, लीड्स टेस्ट की सबसे बड़ी भूल रही कुलदीप यादव को अंतिम एकाश से बाहर रखना।
भारत को खली एक्स फैक्टर की कमी
भारतीय टीम प्रबंधन ने एक बार फिर यह दिखाया कि वह रिस्ट स्पिनर को तभी मौका देता है जब परिस्थितियां पूरी तरह स्पिन के पक्ष में हों, लेकिन जिस तरह रवींद्र जडेजा को पिच से मदद मिल रही थी, उन परिस्थितियों में कुलदीप जैसा विविधताओं से भरा गेंदबाज इंग्लैंड के बल्लेबाजों के विरुद्ध निर्णायक भूमिका निभा सकता था।
उनके न खेलने से भारत के पास वह 'एक्स फैक्टर' नहीं रहा जो अंतिम दिन इंग्लिश बल्लेबाजों की लय तोड़ सकता था। बेन डकेट और जैक क्राउले की ओपनिंग साझेदारी ने भारत के गेंदबाजों को बेबस कर दिया।
गिल की कप्तानी पर उठे सवाल
भारतीय आक्रमण ने न तो पर्याप्त दबाव बनाया, और न ही पिच की नमी का लाभ उठाया। बुमराह और सिराज शुरुआती घंटों में प्रभावहीन रहे, जबकि स्पिन विभाग पूरी तरह अप्रभावी दिखा।
इसके अलावा कप्तान शुभमन गिल की कप्तानी पर भी सवाल उठे हैं। कई मौकों पर उनके गेंदबाजी बदलाव और फील्ड सेटिंग अनुभवहीन लगी। जब इंग्लैंड के बल्लेबाज खुलकर रन बना रहे थे, तब भारत ने रक्षात्मक फील्ड लगाकर खुद पर दबाव और बढ़ा लिया।
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कुलदीप की वापसी तय
अब जब अगला मुकाबला एजबेस्टन में है, तो भारत को सिर्फ अपने खेल में नहीं, बल्कि अपने चयन और रणनीति में भी साहसिक बदलाव करने होंगे। कुलदीप यादव की वापसी अब जरूरी हो गई है। वहीं बल्लेबाजी क्रम में स्थिरता और अनुशासन की जरूरत है।
एजबेस्टन में ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी भी बेहतर विकल्प हो सकते हैं। नीतीश ऑस्ट्रेलिया में शतक लगा चुके हैं और गेंद से भी विकेट चटकाने में माहिर हैं। अब भारतीय टीम प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती एजबेस्टन में अंतिम एकादश चुनने की होगी।
क्या शार्दुल की होगी छुट्टी?
मुख्य कोच गौतम गंभीर ने शार्दुल ठाकुर से कम गेंदबाजी कराने के कप्तान शुभमन के निर्णय का बचाव किया, लेकिन दो जुलाई से शुरू हो रहे दूसरे टेस्ट में उनके चयन को सही ठहराना मुश्किल होगा। दिसंबर 2023 के बाद से अपना पहला टेस्ट खेल रहे शार्दुल का तेज गेंदबाजी में अच्छा उपयोग नहीं हुआ और उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से भी टीम को निराश किया।
उन्होंने दो पारियों में 20 गेंदों पर कुल पांच रन बनाए। शार्दुल ने मैच की पहली पारी में सिर्फ छह ओवर और दूसरी पारी में 10 ओवर गेंदबाजी की। उन्होंने और प्रसिद्ध कृष्णा ने बहुत सारी कमजोर गेंदें फेंकी, जिससे इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर दबाव नहीं बना। ऐसे में शार्दुल की जगह कुलदीप को अंतिम एकादश में जगह मिलना लगभग तय है।
चार तेज गेंदबाजों के साथ खेलने का कोई मतलब नहीं है। शार्दुल या प्रसिद्ध में से कोई भी उनके लिए जगह बना सकता है। इंग्लैंड में टीमें अकसर चार तेज गेंदबाजों के साथ मैदान पर उतरते रहीं हैं लेकिन मौजूदा समय में शुष्क मौसम को देखते हुए कुलदीप और रवींद्र जडेजा दोनों अंतिम एकादश में जगह बना सकते हैं।
-दिलीप वेंगसरकर, पूर्व कप्तान, भारत
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