सियासी तकरार :  नक्सलवाद पर छत्तीसगढ़ में गरमाई राजनीति, कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने

सियासी तकरार : नक्सलवाद पर छत्तीसगढ़ में गरमाई राजनीति, कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने

रायपुर :  छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर नक्सलवाद को लेकर गर्मा गई है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है, जहां दोनों दल एक-दूसरे को नक्सल समर्थक बताने से नहीं चूक रहे। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कांग्रेस पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस और नक्सलियों के रिश्ते इतने गहरे हैं जैसे नक्सली उनके दामाद हों।

उन्होंने कहा कि बस्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में नक्सलवाद की जड़ें कांग्रेस की नीतियों के कारण गहरी हुईं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने नक्सलियों को संरक्षण दिया है और यही कारण है कि बस्तर का विकास ठप पड़ा है और आदिवासियों का निरंतर शोषण हो रहा है।

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चंद्राकर ने यह भी कहा कि कांग्रेस केवल सहानुभूति की राजनीति करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर न तो सुरक्षा दी और न ही विकास की कोई ठोस नीति बनाई।

दीपक बैज का पलटवार: बीजेपी बताए शाह और नक्सलियों में क्या है रिश्ता?

कांग्रेस की ओर से छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने पलटवार करते हुए अजय चंद्राकर पर जवाबी हमला बोला। बैज ने कहा, बीजेपी पहले यह स्पष्ट करे कि गृहमंत्री अमित शाह और नक्सलियों के बीच क्या संबंध है? शाह मंच से नक्सलियों को ‘भाई’ कहकर संबोधित करते हैं, क्या यह किसी संबंध का संकेत नहीं है?

उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी के 15 वर्षों के शासन में नक्सलवाद और गहराया, और उन सालों में बस्तर को केवल सैनिक बूटों से दबाने की कोशिश की गई, विकास और संवाद की नहीं।

नक्सलवाद बना राजनीतिक हथियार?

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक बार फिर सियासी मुद्दा बनकर उभरा है। कांग्रेस बीजेपी पर आरोप लगाती है कि उसके शासनकाल में सुरक्षा बलों की आड़ में निर्दोष आदिवासियों का दमन हुआ। वहीं बीजेपी कांग्रेस पर नक्सलियों से सांठगांठ और राजनीतिक लाभ के लिए अति वामपंथी संगठनों से नरमी बरतने का आरोप लगाती है।

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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में नक्सलवाद एक भावनात्मक और रणनीतिक मुद्दा है, जिसका इस्तेमाल दोनों दल चुनावी लाभ के लिए कर रहे हैं।






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