कांवड़ यात्रा धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यह हर साल सावन के पवित्र महीने में लाखों शिव भक्तों द्वारा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान शिव भक्त भोले बाबा के जयकारों के साथ भक्त विभिन्न पवित्र स्थानों से गंगाजल लेकर अपनी यात्रा शुरू करते हैं और इसे शिवलिंग पर अर्पित करते हुए पूरा करते हैं।
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वहीं, इस पावन यात्रा की डेट को लेकर लोगों में थोड़ी कन्फ्यूजन है कि ये कब शुरू होगी, तो आइए इस आर्टिकल में इसकी सही डेट जानते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 11 जुलाई को देर रात 02 बजकर 06 मिनट से होगी। ऐसे में इसी दिन से सावन के महीने और कांवड़ यात्रा की शुरुआत होगी। वहीं, इस यात्रा का समापन 23 जुलाई 2025 को सावन शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक के साथ होगा।
कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन से विष निकला था, तो भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए उसे पी लिया था। इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव पर गंगाजल अर्पित किया था। तभी से सावन के महीने में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। वहीं, अन्य कुछ मान्यताओं के अनुसार, परशुराम जी को प्रथम कांवड़िया माना जाता है, जिन्होंने गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लाकर पुरा महादेव मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक किया था।
इसके अलावा त्रेतायुग में श्रवण कुमार द्वारा अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा कराने की कथा भी प्रचलित है, जिससे इस यात्रा को 'कांवड़' नाम मिला।
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