शराब घोटाला : चार्जशीट से खुले राज,ऐसे दिया पुरे घोटाले को अंजाम

शराब घोटाला : चार्जशीट से खुले राज,ऐसे दिया पुरे घोटाले को अंजाम

रायपुर :  राज्य में शराब घोटाला करने आरोपियों ने जो तरीके अपनाए हैं, उसे लेकर केंद्र के साथ राज्य की जांच एजेंसियां हतप्रभ हैं। शातिरों ने शराब घोटाले को कैसे अंजाम दिया, इस बात का आबकारी मंत्री के खिलाफ कोर्ट में पेश किए गए पूरक चालान में ईओडब्ल्यू ने सिलसिलेवार तरीके से उल्लेख किया है। चालान में बताया गया है कि शातिरों ने घोटाले को अंजाम देने कैसे एनआईसी को पत्र लिखा, इसके बाद शराब की काली कमाई को खपाने के लिए किस तरह से हथकंडे अपनाए।

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कोर्ट में पेश किए गए पूरक चालान में बताया गया है कि शराब की काली कमाई अलग-अलग जोन से होते हुए अनवर ढेबर के होटल वेलिंगटन पहुंचती थी। होटल से हर माह 10 करोड़ रुपए अरविंद सिंह भिलाई में किसी राजनीतिक व्यक्ति तक पहुंचाता था। इसके अलावा हवाला कारोबारी सुमीत मालू काली कमाई को मुंबई, कोलकाता तथा दिल्ली के रास्ते ठिकाने लगाने का काम करता था। शराब की काली कमाई खपाने के लिए घोटाले का किंग पिन अनवर अपने भरोसेमंद लोगों की मदद लेता था।

काली कमाई को सफेद किया
ईओडब्ल्यू द्वारा कोर्ट में पेश पूरक चालान में उल्लेख किया गया है कि उन्हें जांच के दौरान अनवर द्वारा भतीजे उमेर, बेटे जुनैद जो सफायर इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हैं, उनके अकाउंट में रकम ट्रांसफर कर काली कमाई को सफेद करने की कोशिश की। इसके प्रमाण के रूप में ईओडब्ल्यू को बैंक की एंट्रीज मिली हैं। इसके अलावा पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा ने शराब की काली कमाई अपने बेटे के माध्यम से सफेद करने की कोशिश की है।

घोटाला करने एनआईसी को पत्र
अरूणपति त्रिपाठी द्वारा एनआईसी को पत्र लिखकर वेयरहाउस से दुकानों में शराब पहुंचने पर परमिट स्कैन होने पर ही विक्रय दिखाने के लिए सॉफ्टवेयर में बदलाव करने कहा गया, ताकि प्रत्येक बोतल स्कैन का रीयल टाइम डाटा सर्वर पर उपलब्ध न हो सके और अवैध शराब की बिक्री को बढ़ावा मिल सके। इसी तरह दुकानों की जगह वेयर हाउस से शराब लोडिंग होने पर ही विक्रय होना सर्वर में अपलोड होने लगा, ताकि कितनी शराब दुकानों में बिक रही है, इसकी जानकारी सर्वर पर उपलब्ध न हो सके। इसके लिए अरूणपति त्रिपाठी द्वारा एनआईसी को पत्र लिखा गया। इसी तरह अरूणपति त्रिपाठी द्वारा एनआईसी को पत्र लिखकर आरएफआईडी से कैश कलेक्शन रुकवा दिया था, ताकि वैध और अवैध शराब के बिक्री के पैसे अलग करने में कठिनाई न हो।

संपत्ति खरीदने में लगाया पैसा
कोर्ट में पेश किए गए पूरक चालान में उल्लेख किया गया है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले में कुल 64 करोड़ रुपए मिले हैं। प्राप्त रकम में से 18 करोड़ 69 लाख रुपए लखमा ने अलग-अलग कारोबार में निवेश करने के साथ संपत्ति अर्जित करने में लगाए। इस तरह से लखमा ने शराब की काली कमाई अपने हित के लिए इस्तेमाल की है।

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ट्रैक एण्ड ट्रेस सॉफ्टवेयर में हेरफेर
वेयर हाउस से दुकानों तक पहुंचाने एवं दुकानों से शराब बिकने तक की निगरानी के लिए एनआईसी द्वारा एक सॉफ्टवेयर विकसित किया गया, जिसका नाम ट्रैक एण्ड ट्रेस सॉफ्टवेयर है। इस सॉफ्टवेयर का मुख्य कार्य शराब बनने से लेकर शराब के विक्रय तक किसी भी तरह की चोरी को रोकना एवं शासन को हानि होने से बचाना था। अरूणपति त्रिपाठी द्वारा सिंडीकेट के माध्यम से अवैध शराब की बिक्री (पार्ट-बी) एवं (पार्ट-ए) कमीशन को बढ़ावा देने के लिए इस सॉफ्टवेयर में बदलाव के लिए कई पत्र एनआईसी को लिखे गए। सामान्यतः इस सॉफ्टवेयर द्वारा शराब परिवहन के प्रत्येक स्तर पर बार, क्यूआर कोड स्कैनिंग का प्रावधान है, ताकि प्रत्येक बोतल शराब की गणना सर्वर पर उपलब्ध हो, परंतु अरूणपति त्रिपाठी द्वारा अवैध शराब की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक स्तर पर स्कैंनिग हटवाकर केवल परिवहन परमिट स्कैनिंग करने की प्रक्रिया चालू की गई, जिसके लिए एनआईसी को पत्र भी लिखा गया।






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