नई दिल्ली : सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। साल 2025 में 26 जुलाई को हरियाली तीज का त्योहार महिलाएं मनाएंगी। इस दिन पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए कुछ महिलाएं निर्जला, तो कुछ महिलाएं फलहार करके व्रत रखती हैं। हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से जुड़ा हुआ है। कहते हैं इस दिन माता पार्वती को 16 श्रृंगार की चीज अर्पित की जाती हैं। इसमें चूड़ी, सिंदूर, मेहंदी, बिछिया आदि शामिल होता है।
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हरा रंग सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। सावन के माह में बारिश के साथी प्रकृति में भी हरियाली छा जाती है। यह रंग महादेव को भी प्रिय है। इसीलिए इस रंग को वैवाहिक जीवन के सुख से जोड़ा जाता है। इस दिन महिलाएं हाथों पर मेहंदी लगाकर हरे रंग की चूड़ियां, हरी साड़ी पहनती हैं।
हरियाली तीज का माता पार्वती से संबंध
कहते हैं भोलेनाथ का माता पार्वती से मिलन इसी माह में हुआ था। भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए तप करने के दौरान माता पार्वती ने अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी रचाई थी।
इसके बाद भोलेनाथ ने माता पार्वती को अपनी अर्द्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। तभी से यह चलन चला आ रहा है कि हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं।
शुक्र ग्रह से संबंधित है मेहंदी
हरियाली तीज के दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी (Hariyal teej mehndi significance) लगाती हैं। दरअसल, मेहंदी का संबंध शुक्र ग्रह से भी है, जो कि सौंदर्य का भी कारक है। वैवाहिक सुख का भी कारक है। इसके अलावा धन, संपत्ति और ऐश्वर्य को देने वाला ग्रह भी है।
हाथों पर लगाई गई मेहंदी शुक्र ग्रह को मजबूत करती है। इसे लगाने से महिलाओं के वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है। इसके साथ ही मेहंदी उनके सौंदर्य को भी निखारता है।
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