सावन का पर्व 11 जुलाई से आरंभ हो रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सावन माह में ही देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप प्राप्त किया था। सावन माह में भगवान शिव की विशेष पूजा का महत्व है, साथ ही आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए खास माना जाता है। इस माह साधु-संत आपको गंगा,यमुना जैसी पवित्र नदियों के किनारे तप, योग और ध्यान करते हैं। इस माह में भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के साथ बेलपत्र, भांग, धतूरा चढ़ाते हैं। शिवपुराण में भी कहा गया है कि भगवान शिव को जल के साथ मात्र बेलपत्र चढ़ाने से वह प्रसन्न होते हैं और भक्त को आशीष देते हैं। पर कई बारे अनजाने में बेलपत्र गलत तरीके से अर्पित करने पर पूर्ण फल नहीं मिलता, तो ऐसे में आइए जानते हैं सही तरीका...
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कब से कब तक है सावन?
सावन माह का आरंभ इस साल 11 जुलाई दिन शुक्रवार से हो रहा है, जो 9 अगस्त की पूर्णिमा तिथि को समाप्त हो रहा है। ऐसे में सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई की तारीख को पड़ रहा है।
बेलपत्र के लिए कुछ नियम
शिवपुराण के मुताबिक, कभी भी सोमवार के दिन या फिर चतुर्दशी तिथि को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। कोशिश करें कि एक दिन पहले सूरज डूबने से पहले तोड़कर रख लें। बेलपत्र को लेकर भ्रांति है कि वह बासी हो जाता है, लेकिन बेलपत्र को पवित्र माना गया है, इसलिए उसे बासी नहीं माना जाता है। तोड़ने के दौरान याद रखें कि पूरी डाल न टूटे या न तोड़ें इससे पाप लगता है। साथ ही सिर्फ 3 पत्ती वाला ही बेलपत्र तोड़ें। इसके अलावा, बेलपत्र कटा-फटा न चढ़ाएं।
बेल पत्र चढ़ाने का सही तरीका
बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रहे कि उसे शिवलिंग पर अपने हाथ से चढ़ाएं लोटे आदि में डालकर न चढ़ाएं क्योंकि इससे बेलपत्र सही तरीके से नहीं चढ़ता। बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रहे कि उसका चिकना यानी अग्र भाग शिवलिंग की ओर हो यानी बेलपत्र को उल्टा चढ़ाएं।
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