हिंदू परंपरा में विवाह को केवल एक सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि एक पवित्र आजीवन प्रतिबद्धता माना जाता है। यह दो आत्माओं, उनके परिवारों और समाज के बीच एक दिव्य मिलन है, जिसे शास्त्रीय अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के माध्यम से पूर्ण किया जाता है। हिंदू विवाह का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत खुशी नहीं, बल्कि धर्म पालन, सामाजिक उत्तरदायित्व और पारिवारिक संतुलन को भी समाहित करता है।
रीति-रिवाजों का हुआ गहराई से पालन
आज के समय में जहां व्यावहारिकताएं और आधुनिक जीवनशैली कई पारंपरिक अनुष्ठानों को सीमित कर देती हैं, वहीं राधिका मर्चेंट और अनंत अंबानी ने अपने विवाह में भारतीय संस्कृति की प्रत्येक परंपरा और रीति का गहराई से पालन किया। उनका यह निर्णय, उनके बड़ों और आध्यात्मिक गुरुओं से आशीर्वाद प्राप्त करने की गहरी इच्छा और संस्कृति के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है। इस विवाह ने न केवल भारत, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारतीय परंपराओं की गरिमा को स्थापित किया, जिसमें अनेक अंतरराष्ट्रीय हस्तियां साक्षी बनीं।
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क्या था शादी की सजावट का थीम?
विवाह समारोह की सजावट "बनारस को ट्रिब्यूट" थीम पर आधारित थी, जिसने अतिथियों को बनारस की आध्यात्मिक गलियों और घाटों की यात्रा कराई। इस थीम ने शहर की समृद्ध संस्कृति, धार्मिकता, कला, शिल्प और भोजन को एक अत्यंत प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया। जियो वर्ल्ड सेंटर के कॉन्कोर्स में सजी यह थीम बनारस की आत्मा को सजीव कर रही थी।
भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन
सभी मेहमानों और गणमान्य व्यक्तियों ने "शानदार भारतीय" ड्रेस कोड का पालन करते हुए पारंपरिक भारतीय परिधान धारण किए, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता और कारीगरी की भव्यता को उजागर करता था। रंगों, वस्त्रों और शिल्प की इस प्रस्तुति ने भारत के उत्कृष्ट फैशन डिजाइनरों और कारीगरों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
कैसे बना ऐतिहासिक आयोजन?
राधिका और अनंत का विवाह केवल एक निजी समारोह नहीं था, बल्कि यह भारतीय परंपरा, सांस्कृतिक गर्व, वैश्विक संबंधों और आध्यात्मिकता से बुना एक ऐतिहासिक आयोजन था, जिसने भारत की सांस्कृतिक छवि को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
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