राहुल गांधी की आदिवासी नेताओं से मुलाकात पर कश्यप ने पीसीसी चीफ से पूछे सवाल,बोले-आदिवासियों के हक में बात की या नहीं

राहुल गांधी की आदिवासी नेताओं से मुलाकात पर कश्यप ने पीसीसी चीफ से पूछे सवाल,बोले-आदिवासियों के हक में बात की या नहीं

सुकमा :  कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आदिवासी नेताओं से मुलाकात पर छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने जमकर निशाना साधा है। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि, पीसीसी चीफ दीपक बैज और पूर्व अध्यक्ष मोहन मरकाम समेत अन्य लोग भी गांधी से मिले तो क्या इस मेल-मुलाकात के दौरान वे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हक में बात कर पाए या परम्परानुसार गांधी-परिवार की चाटुकारिता करके ही लौट आए।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते

वन मंत्री कश्यप ने कहा कि, भूपेश सरकार के शासनकाल में प्रदेश के आदिवासियों के साथ तो छलावा और धोखाधड़ी का एक पूरा सिलसिला चला। लेकिन बैज और मरकाम मुँह में दही जमाए बैठे रहे। मरकाम को तो फिर भी विधानसभा में कोंडागाँव जिले के डीएमएफ फण्ड पर सवाल उठाने की कीमत अध्यक्ष पद खोकर चुकानी पड़ी, पर अभी हाल ही कांग्रेस की पोलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक में सबके सामने अपने नेतृत्व पर किए गए हमले के बाद भी बैज 'मौनी बाबा' बने बैठे हैं। कश्यप ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हक और कल्याण की सोच और दृष्टि से जिस कांग्रेस का दूर-दूर तक कोई रिश्ता ही नहीं है, उस कांग्रेस के नेता राहुल गांधी आदिवासी नेताओं से मिलने का सिर्फ पाखण्ड ही कर रहे हैं।

आदिवासी लोगों को क्यों नहीं बनाया राज्यसभा सांसद
कांग्रेस से सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि, दीपक बैज क्या राहुल गांधी से यह प्रश्न पूछने की हिम्मतकर पाए कि जब भूपेश बघेल की सरकार थी, तब प्रदेश से भेजे गए तीन राज्यसभा सांसदों में छत्तीसगढ़ के किसी व्यक्ति को राज्यसभा सांसद क्यों नहीं बनाया गया था? किसी आदिवासी को कांग्रेस ने इस लायक क्यों नहीं समझा? छत्तीसगढ़ के किसी आदिवासी व्यक्ति को एक राज्यसभा की सीट क्यों नहीं दी? तीनों की तीनों सीटें तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसके इशारे पर बेच दीं और छत्तीसगढ़ का अहित किया? बैज क्या राहुल गांधी से यह पूछने की हिम्मत कर पाए या फिर दिल्ली गए और 'सर नमस्ते' करके आ गए?

बैज ने धर्मांतरण पर भूपेश बघेल से क्यों नहीं मांगा जवाब
उन्होंने आगे कहा कि, यदि राहुल गांधी को सच में आदिवासियों की इतनी ही फिक्र थी तो वह उस समय क्यों चुप्पी साधे रहे। जब छत्तीसगढ़ की पिछली भूपेश सरकार लगातार आदिवासियों के साथ अन्याय कर रही थी? आदिवासी बहुल इलाकों बस्तर व सरगुजा में धर्मांतरण के चलते आदिवासियों में वर्ग संघर्ष की नौबत लाने वाले अपने तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल को तलब क्यों नहीं किया? भूपेश बघेल ने बस्तर के कमिश्नर और सुकमा के एसपी की उन चिठिठयों पर धूल क्यों पड़ने दी। जिनमें बस्तर में धर्मांतरण के चलते स्थिति के भयावह होने की बात कही गई थी।

ये भी पढ़े : परंपरागत से आधुनिक खेती की ओर: लालसुहनार के साधूराम की कहानी बनी सैकड़ों किसानों के लिए मिसाल

भूपेश सरकार ने तेन्दूपत्ता संग्राहकों के हितों में डाला डाका

मंत्री कश्यप ने आगे कहा कि, आदिवासी क्षेत्रों में तेन्दूपत्ता संग्राहकों के हितों तक पर भूपेश सरकार ने डाका डाला। उनको दी जाने वाली चरणपादुका तक का वितरण बंद करवा दिया। तब बैज और मरकाम ने चुप्पी क्यों साध रखी थी? दीपक बैज और मोहन मरकाम आदिवासी हितों की बात जब भूपेश सरकार के कार्यकाल में नहीं कर पाए तो अब राहुल गांधी के सामने उनकी जुबान खुली होगी, क्या यह सोचना ही बेमानी व हास्यास्पद नहीं है?









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments