दक्षेश्वर महादेव मंदिर की महिमा : यहां दर्शन मात्र से खुलते हैं मनोकामनाओं के द्वार, पितृ दोष भी होता है दूर

दक्षेश्वर महादेव मंदिर की महिमा : यहां दर्शन मात्र से खुलते हैं मनोकामनाओं के द्वार, पितृ दोष भी होता है दूर

सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना देवों के देव महादेव को पूर्णतया समर्पित होता है। इस महीने में रोजाना भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार पर व्रत रखा जाता है। इस दिन साधक श्रद्धा और भक्ति भाव से देवों के देव महादेव का जलाभिषेक करते हैं।

धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा एवं जलाभिषेक करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। इसके लिए शिव भक्त अपने आराध्य महादेव की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। भगवान शिव की पूजा से पितृ दोष में भी राहत मिलती है।

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अगर आप भी पितृ दोष समेत अन्य परेशानियों से निजात पाना चाहते हैं, तो सावन सोमवार पर दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के दर्शन एवं पूजा करें। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन से पितृ दोष की समस्या दूर हो जाती है। आइए, इसके बारे में जानते हैं-

कहां है दक्षेश्वर महादेव मंदिर?

देवों की भूमि उत्तराखंड में भगवान शिव को समर्पित दक्षेश्वर मंदिर है। यह मंदिर उत्तराखंड के कनखल में है, जिसे भगवान शिव का ससुराल भी कहा जाता है। आसान शब्दों में कहें तो माता सती का मायका कनखल में था। इसके लिए कनखल को भगवान शिव का ससुराल भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना यथाशीघ्र पूरी हो जाती है।

मंदिर का इतिहास

सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में भगवान शिव का विवाह, राजा दक्ष की पुत्री देवी सती से हुआ था। राजा दक्ष विवाह से प्रसन्न नहीं थे। इसके लिए राजा दक्ष हमेशा भगवान शिव से नाखुश रहते थे। कहते हैं कि राजा दक्ष ने घर पर महायज्ञ का आयोजन किया था।

इस यज्ञ में भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया था। जब यह बात देवी मां सती को हुई, तो उन्होंने भगवान शिव से यज्ञ में चलने की जिद करने लगी। भगवान शिव नहीं मानें, लेकिन माता सती को जाने की आज्ञा दे दी। माता सती यज्ञ में पहुंची। वहां, पति का अपमान सुनकर माता सती ने यज्ञ की वेदी में अपनी आहुति दे दी।

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यह खबर सुन भगवान शिव क्रोधित हो उठे। इसके बाद उन्होंने अपने गण वीरभद्र और भद्रकाली को राजा दक्ष को सबक सीखाने के लिए भेजा। वीरभद्र ने राजा दक्ष का वध कर दिया। वहीं, शिव जी के क्रोध से तीनों लोक में हाहाकार मच गया। तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने भगवान शिव के क्रोध को शांत किया। उस समय भगवान शिव ने राजा दक्ष को माफ कर जीवन प्रदान किया। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन से हर मनोकामना पूरी होती है।









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