नाग पंचमी पर इस मंदिर में लगती है भक्तों की भीड़,दर्शन मात्र से दूर होतें हैं कालसर्प दोष

नाग पंचमी पर इस मंदिर में लगती है भक्तों की भीड़,दर्शन मात्र से दूर होतें हैं कालसर्प दोष

नई दिल्ली :  आज हम बात कर रहे हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर की, जो उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। साल में केवल नाग पंचमी पर ही इस मंदिर के द्वार खोले जाते हैं, जिसके पीछे एक विशेष कारण भी मिलता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में।

कब खुलेंगे मंदिर के द्वार

इस बार नाग पंचमी 29 जुलाई को मनाई जाएगी। इस प्रकार नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 29 जुलाई को भक्तों के लिए खोले जाएंगे। इस दिन भक्त 24 घंटे भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन का लाभ उठा सकेंगे। नाग पंचमी के दिन, मंदिर में विशेष पूजा और आरती की जाती है और इसके बाद पुनः मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

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मंदिर की खासियत

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर पर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थापित है। यहां पर नाग देवता की जो प्रतिमा स्थापित है, वह 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। साथ ही इसे लेकर कहा जाता है कि यह प्रतिमा नेपाल से भारत लाई गई थी। आपने विष्णु भगवान को ही सर्प शय्या पर विराजमान विराजमान देखा होगा।

लेकिन यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर हैं, जहां भगवान शिव सर्प शय्या पर विराजमान हैं। इस अद्भुत प्रतिमा में नाग देवता ने अपने फन फैलाए हुए हैं और उसने ऊपर भगवान शिव, माता पार्वती समेत विराजमान हैं। नाग पंचमी के शुभ अवसर पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाती है।

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केवल एक ही बार खुलने का कारण

पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार सर्पों के राजा तक्षक ने भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की। राजा की इस तपस्या से महादेव अति प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया।

इसके बाद राजा तक्षक नाग भगवान शिव के सान्निध्य में अर्थात महाकाल वन में ही वास करने लगे। लेकिन राजा की यह इच्छा थी कि उनके एकांत में कोई विघ्न न आए। यही कारण है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर के द्वार केवल नाग पंचमी पर ही खोले जाते हैं।






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