AAP ने INDIA गठबंधन से तोड़ा नाता, संसद सत्र से पहले विखरा विपक्षी एलायंस

AAP ने INDIA गठबंधन से तोड़ा नाता, संसद सत्र से पहले विखरा विपक्षी एलायंस

संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले विपक्षी गठबंधन को तगड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इंडिया गठबंधन से अलग होने का ऐलान किया है। राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, आम आदमी पार्टी अब INDIA गठबंधन की किसी बैठक में हिस्सा नहीं लेगी। उन्होंने कहा, पहले ही हम स्पष्ट कर चुके हैं कि AAP अब इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है।

मॉनसून सत्र और विपक्ष की रणनीति

संसद का मॉनसून 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा। विपक्ष इसमें मोदी सरकार को घेरने के लिए रणनीति बना रहा है। शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास में INDIA एलाइंस की बैठक होनी है। इससे पहले ही आम आदमी पार्टी ने गठबंधन छोड़ने का ऐलान कर दिया।

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आम आदमी पार्टी अब न तो इंडिया गठबंधन की बैठकों में हिस्सा लेगी और न ही संसद में समर्थन करेगी। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां मानूसन सत्र में बिहार में मतदाता सूची रिव्यू, ऑपरेशन सिंदूर, डोनाल्ड ट्रंप और महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रही हैं।

AAP का अलग रास्ता, लेकिन अकेले मुखर रणनीति

AAP ने गठबंधन से नाता जरूर तोड़ लिया है, लेकिन संसद में सरकार की आलोचना जारी रखेगी। संजय सिंह ने कहा, आम आदमी पार्टी दिल्ली में जारी बुलडोजर एक्शन और उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बंद होने जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि TMC, DMK और सपा जैसे सहयोगी दलों के साथ AAP सामंजस्य बनाए रखेगी, लेकिन औपचारिक गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।

AAP और कांग्रेस के बीच खींचतान

  • INDIA गठबंधन में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के रिश्ते शुरुआत से ही तनावपूर्ण रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, गुजरात, हरियाणा और गोवा में दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा। लोकसभा चुनाव में भी सीट बंटवारे और कैम्पेन अभियान पर AAP ने नाराजगी जताई थी।
  • TMC, सपा और DMK जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ AAP का तालमेल अपेक्षाकृत बेहतर है। दिल्ली और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की बजाय आम आदमी का समर्थन दिया था। अब बिहार चुनाव में भी AAP ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

क्या बिखर रहा विपक्षी गठबंधन?

  • INDIA गठबंधन के लिए सिर्फ आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रीय दल भी चुनौती पैदा कर रहे हैं। बंगाल में ममता बैनर्जी की TMC और कांग्रेस के बीच टकराव जगह जाहिर है। उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में सपा ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी। अब महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना के बीच भी तनाव सामने आने लगे हैं।
  • उद्धव ठाकरे ने हाल ही में जिस तरीके से पहले राज ठाकरे और फिर सीएम देवेंद्र फणडवीस के साथ आत्मीय मुलाकात की, उससे उनकी प्राथमिकताएं स्पष्ट समझ आ रही हैं।

संसद में क्यों जरूरी है APP की उपस्थिति?

आम आदमी पार्टी के पास 8 राज्यसभा और 3 लोकसभा सांसद हैं। संसद में इन सांसदों की उपस्थिति विपक्ष को काफी मजबूती देती थी, लेकिन AAP के अलग होने से विपक्ष की आवाज कमजोर पड़ सकती है। खासकर, राज्यसभा में इसका असर ज्यादा देखने मिल सकता है।

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क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?

  • विशेषज्ञों का मानना है कि AAP का यह कदम दोतरफा संदेश देता है। एक तो वह कांग्रेस के साथ मंच साझा करने में सहज नहीं है। दूसरा वह आने वाले हरियाणा, दिल्ली और पंजाब चुनावों में खुद को स्वतंत्र विकल्प के रूप में पेश करना चाहती है।
  • AAP के INDIA गठबंधन से अलग होने से विपक्ष को रणनीतिक और सियासी दोनों स्तर पर नुकसान हो सकता है। विपक्ष को केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट होकर मजबूती दिखाने की ज़रूरत है। वहीं, आंतरिक असहमति और टकराव उसे कमजोर कर सकते हैं।
  • अब देखना होगा कि मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष किस हद तक एकजुट रह पाता है और क्या AAP जैसे दल बिना गठबंधन में रहते हुए भी सरकार को चुनौती दे पाएंगे या नहीं।






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