नई दिल्ली : हम सभी ने बचपन में नाक-मुंह सिकोड़कर दूध जरूर पिया होगा। हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ यह सेहत को और भी कई तरह के फायदे पहुंचाता है। भारत में दूध काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां दूध सिर्फ वैज्ञानिक कारण से ही नहीं, बल्कि धार्मिक कारण से भी काफी अहम होता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ सेहत बनाने के लिए ही नहीं, बल्कि पूजा-पाठ में भी किया जाता है।
व्रत-उपवास में जहां लोग दूध पीते हैं, तो वहीं भगवान का पंचामृत और शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए भी दूध का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर दूध को शाकाहारी यानी वेजिटेरियन माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ समय से नॉन-वेज मिल्क काफी ज्यादा चर्चा में बना हुआ है। दरअसल, भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील में इसे लेकर चर्चा हुई, जिसके बाद से ही यह सुर्खियों में बना हुआ है। आइए जानते हैं क्या है नॉन-वेज मिल्क (Non-Veg Milk) और कैसे है ये भारत में मिलने वाले दूध से अलग-
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क्या होता है नॉन-वेज मिल्क
आमतौर पर शाकाहारी फूड्स में शामिल दूध नॉनवेज भी हो सकता है, यह सुनने में काफी अजीब लग सकता है। हालांकि, यह शब्द अमेरिकी गायों के दूध के लिए काफी हद तक सही है। दरअसल, यह शब्द उन गायों के दूध के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिन्हें एनिमल-प्रोडक्ट मिला चारा या खाना खिलाया जाता है।
आसान भाषा में समझें, तो जिन गायों को खाने में मांस या खून से बना चारा दिया जाता है, उनसे मिलने वाले दूध को नॉन-वेज मिल्क कहा जा रहा है। गायों के वजन को बढ़ाने के लिए उन्हें नॉनवेज मिला चारा दिया जाता है। इसके लिए आमतौर पर सुअर, चिकन, मछली, घोड़े, बिल्लियों और कुत्ते के मांस का इस्तेमाल किया जाता है।
नॉन-वेज क्यों माना जा रहा यह मिल्क?
इस दूध को नॉनवेज इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि आमतौर पर गाय खासकर भारत में शुद्धहारी पशु मानी है, जिससे निकलने वाले दूध को भी शाकाहारी और शुद्ध माना जाता है। ऐसे में मरे हुए जानवरों के मीट पाउडर, हड्डियों, फैट आदि से तैयार चारे को खाने वाली गायों के दूध को कुछ लोग "शुद्ध शाकाहारी" नहीं मानते हैं।
इन देशों में भी गायों को खिलाते हैं नॉनवेज खाना
सिर्फ अमेरिका ही नहीं यूरोप, रूस, मेक्सिको, थाईलैंड और फिलीपींस, ब्राजील और पूरे यूरोप जैसे देशों में गायों को इस तरह का नॉनवेज खाना खिलाना आम हैं। इतना ही नहीं जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे देशों में नॉनवेज मिल्का का इस्तेमाल भी काफी ज्यादा आम हैं।
वहीं, बात करें भारत की, तो यहां गायों को मुख्य रूप से शाकाहारी चारा जैसे सूखा भूसा, हरा चारा, मक्का, गेहूं के दाने और चोकर खिलाया जाता है। हालांकि कुछ बड़े डेयरी फार्मों ने विदेशी चारा पद्धतियों को अपनाना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी भी यहां मांसाहारी चारे का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
क्या है शुद्ध शाकाहारी दूध?
आमतौर पर भारत में मिलने वाले दूध को शुद्ध शाकाहारी दूध माना जाता है। ब्रांडेड दूध पर अक्सर "100% शाकाहारी आहार", "गौशाला आधारित" या "जैविक शाकाहारी आहार" जैसे लेबल लगाए जाते हैं, जिससे यह पता चलता है कि गायों को किसी भी तरह का कोई एनिमल बेस्ड प्रोडक्ट नही खिलाया गया है।
खासतौर पर गौशालाओं से मिले दूध को सबसे विश्वसनीय माना जाता है। अगर गाय को सिर्फ हरा चारा, सूखा भूसा, खली और अनाज दिया जाता है, तो ऐसी गाय से मिले दूध को शुद्ध शाकाहारी माना जाता है।
कैसे अलग है शाकाहारी और मांसाहारी दूध?
अगर बात करें इन दोनों दूध में अंतर की, तो दोनों में कुछ अंतर हो सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर इन दोनों दूध का स्वास्थ्य या स्वाद पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।
क्या सेहत के लिए हानिकारक नॉनवेज दूध है?
ज्यादातर वैज्ञानिक अध्ययनों में यह पाया गया है कि मांसाहारी डाइट लेने वाली गाय से मिला दूध पोषण की दृष्टि से पीने के लिए सुरक्षित है। इससे सेहत को कोई नुकसान नहीं होगा।
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