आयुक्त एवं सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने दंतेवाड़ा में स्वास्थ्य सेवाओं की गहन समीक्षा की

आयुक्त एवं सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने दंतेवाड़ा में स्वास्थ्य सेवाओं की गहन समीक्षा की

रायपुर, 20 जुलाई 2025 : स्वास्थ्य सेवाओं की आयुक्त एवं सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने संयुक्त जिला कार्यालय, दंतेवाड़ा में स्वास्थ्य विभाग की बैठक लेकर यहां मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़, सिकल सेल रोग नियंत्रण और टीबी उन्मूलन जैसे विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की समीक्षा की।

डॉ. शुक्ला ने स्वास्थ्य अधिकारियों से स्पष्ट लहजों में कहा कि शासन का उद्देश्य मलेरिया को पूरी तरह समाप्त करने का है। यह तभी संभव है जब जिला, विकासखंड और ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य अमला पूरी सक्रियता के साथ कार्य करंे। उन्हांेने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और खंड चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे स्वयं फील्ड में जाकर मलेरिया अभियान की निगरानी करें।

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डॉ. शुक्ला ने कहा कि आरडी किट से जांच के दौरान यदि कोई व्यक्ति मलेरिया पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसे दवा की पूरी खुराक दी जाए। मितानिनों द्वारा दी गई दवाओं का रैफर जमा किया जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मरीज ने दवा पूरी कर ली है। इस अभियान में एपीआई दर को 2 प्रतिशत से नीचे लाने का भी लक्ष्य तय किया गया है।

सभी आश्रम शालाओं में नियमित रूप से मलेरिया की जांच हो

बैठक में आश्रम शालाओं की स्वास्थ्य व्यवस्था की भी समीक्षा की गई। डॉ. शुक्ला ने कहा कि सभी आश्रम शालाओं में नियमित रूप से मलेरिया की जांच सुनिश्चित की जाए। यदि एक भी छात्र को मलेरिया पॉजिटिव पाया जाता है, तो सभी छात्रों की तत्काल स्क्रीनिंग की जाए।

उन्होंने सिकल सेल से पीड़ित सभी मरीजों का आभा हेल्थ आईडी बनाने को कहा जिससे उनके इलाज में किसी तरह की बाधा न आए। डॉ. शुक्ला ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की भी समीक्षा करते हुए कहा कि सभी पंचायतों में ‘टीबी मित्र’ बनाए जाएं। 

स्वास्थ्य संबधी जागरूकता स्थानीय बोली और भाषा से बढाए

उन्होंने कहा कि अगर स्वास्थ्य संबधी जागरूकता स्थानीय बोली और भाषा में होगी, तब लोग अधिक बेहतर समझ पाएंगे और इलाज के लिए आगे आएंगे। उन्होंने कहा कि “हमारा कार्य केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि रोगों की रोकथाम, जागरूकता और जन विश्वास बनाना भी हमारी जिम्मेदारी है। 

डॉ. शुक्ला ने जिले में संचालित अन्य स्वास्थ्य योजनाओं जैसे जननी सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, टीकाकरण अभियान और कृमि मुक्ति अभियान की भी गहन समीक्षा की। 

उन्होंने कहा कि गर्भवती माताओं का प्रथम तिमाही में पंजीयन करना आवश्यक है, क्यूंकि उनकी चार बार जांच होंगी जिससे उच्च जोखिम वाली माताओं का पता चलेगा जिससे होने वाली मातृ मृत्यु को कमी की जा सके। 

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उच्च जोखिम वाली माताओं का प्रसव उच्च संस्था में ही करवाएं

प्रत्येक माह 9 एवं 24 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में पंजीकृत गर्भवती माताओं की जाँच आवश्यक रूप से करवाए। उच्च जोखिम वाली माताओं की प्रसव पूर्व फॉलोअप करना अति आवश्यक है और प्रसव उच्च संस्था में ही करें, ताकि जच्चा और बच्चा दोनों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। 

बैठक में कलेक्टर कुणाल दुदावत, जिला पंचायत सीईओ  जयंत नाहटा, अपर कलेक्टर राजेश पात्रे, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी, सभी सीएचसी-पीएचसी प्रभारी, मलेरिया, टीबी और सिकल सेल प्रभारी तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी उपस्थित रहे।






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