पूर्व सीएम के गढ़ में गंदगी का राज: राजनांदगांव बना कचरे, मवेशियों और टूटी सड़कों का शहर!

पूर्व सीएम के गढ़ में गंदगी का राज: राजनांदगांव बना कचरे, मवेशियों और टूटी सड़कों का शहर!

राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के गढ़ कहे जाने वाले राजनांदगांव शहर की हालत आज खुद सवालों के घेरे में है। नगर निगम की निष्क्रियता, अव्यवस्थित सफाई व्यवस्था और भ्रष्टाचार की बू देते निर्माण कार्यों ने आम जनता का जीना मुहाल कर दिया है।

 सफाई व्यवस्था बेपटरी, नालियों से उठ रही बीमारी
शहर के अधिकांश मोहल्लों में नालियां गंदगी से बजबजा रही हैं। नियमित सफाई न होने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे डेंगू, मलेरिया जैसे संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है। डस्टबिन समय पर नहीं खाली किए जाते और कचरा खुले में पड़ा रहता है। वार्ड पार्षदों की शिकायतों के बावजूद निगम की कार्रवाई नदारद है।

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 सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्जा, हादसों का डर
शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक आवारा गायें और मवेशी खुलेआम घूमते नजर आते हैं। आए दिन ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है और कई बार लोग दुर्घटनाग्रस्त भी हो चुके हैं। मवेशियों के लिए अलग व्यवस्था नहीं होने से नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।

 टूटी सड़कों ने खोली घटिया निर्माण की पोल
हाल ही में बनी कई सड़कें पहली ही बारिश में उखड़ गईं। जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं, जिससे वाहन चालकों और पैदल चलने वालों को भारी परेशानी हो रही है। यह निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितता और गुणवत्ता में भारी कमी की ओर इशारा करता है।

 जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से जनता में नाराज़गी
डॉ. रमन सिंह जैसे वरिष्ठ नेता और वर्तमान महापौर मधुसूदन यादव की मौजूदगी के बावजूद शहर की स्थिति बेहद चिंताजनक है। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब प्रदेश का मुख्यमंत्री रह चुका व्यक्ति इस क्षेत्र से आता है, तो फिर यहां मूलभूत सुविधाएं क्यों नहीं सुधर रही हैं? महापौर और नगर निगम की चुप्पी से जनता का विश्वास डगमगाने लगा है।

जनता की मांग: दिखावे नहीं, ज़मीन पर काम हो
नागरिकों ने नगर निगम से मांग की है कि अब सिर्फ घोषणाओं और प्रचार से काम नहीं चलेगा। ज़मीनी स्तर पर व्यवस्था में सुधार लाया जाए, जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो और राजनांदगांव को वास्तव में एक स्मार्ट और स्वच्छ शहर बनाया जाए।

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वरिष्ठ अधिवक्ता मौलेश तिवारी की प्रतिक्रिया
"शहर की सड़कों पर घूमती आवारा गायें प्रशासन की नाकामी का प्रतीक हैं। आए दिन हादसे हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम बेपरवाह है। व्यवस्था के नाम पर सिर्फ दिखावा है। जिम्मेदारों को जवाबदेह बनाया जाए, वरना जनता खुद आंदोलन के लिए मजबूर होगी।"






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