Jagdeep Dhankhar resigned : उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी किसे मिल सकती है? कैसे होता है चुनाव? जानिए पूरी प्रक्रिया

Jagdeep Dhankhar resigned : उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी किसे मिल सकती है? कैसे होता है चुनाव? जानिए पूरी प्रक्रिया

भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार (21 जुलाई ) की रात अपने पद से इस्तीफा दिया। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों को पद छोड़ने की वजह बताई। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। संसद के मानसून सत्र के बीच धनखड़ का इस्तीफा आने से बड़ी हलचल है। उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराना होगा। उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है; नियम क्या हैं? उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी किसे मिल सकती है? आइए जानते हैं सबकुछ...।

देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद
उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद वह तब तक पद पर बने रह सकते हैं, जब तक कि उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले।

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कैसे होता है चुनाव? जानिए पूरी प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद हिस्सा लेते हैं। इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं। जबिक राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा सांसद और सभी राज्यों की विधानसभा के विधायक वोटिंग करते हैं।

उपराष्ट्रपति बनने के लिए क्या जरूरी
उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है। उम्र 35 साल से ज्यादा होनी चाहिए। राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की सारी योग्यताओं का पूरा होना जरूरी है। उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवार को 15,000 रुपए बतौर जमानत जमा करने होते हैं। यह राशि निर्वाचन आयोग के पास जमा की जाती है। यदि उम्मीदवार चुनाव हार जाता है और उसे कुल वैध मतों का छठा हिस्सा (1/6) भी नहीं मिलता, तो यह जमानत राशि जब्त कर ली जाती है। केवल वही उम्मीदवार अपनी जमानत वापस पाने के हकदार होते हैं, जिन्हें न्यूनतम तय वोट मिलते हैं।

कैसे होता है मतदान?
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदस्य हिस्सा लेते हैं। लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 सांसद वोटिंग करते हैं। राज्यसभा के 245 सदस्यों में से 12 मनोनीत सांसद भी मतदान प्रक्रिया में शामिल होते हैं।

एक सांसद एक ही वोट
चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होता है। इसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम अपनाया जाता है। इस प्रणाली में प्रत्येक सांसद को एक ही वोट देना होता है, लेकिन वह उम्मीदवारों के बीच अपनी पसंद की प्राथमिकता निर्धारित करता है।

ऐसे समझिए
बैलेट पेपर पर सांसद को अपनी पहली पसंद को '1', दूसरी पसंद को '2' और तीसरी पसंद को '3' के रूप में अंकित करना होता है। उदाहरण के लिए, यदि A, B और C उम्मीदवार हैं, तो वोटर बैलेट पर A के सामने 1, B के सामने 2 और C के सामने 3 लिख सकता है।

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कैसे होती है वोटों की गिनती
उपराष्ट्रपति चुनाव में किसी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक निर्धारित कोटा तय किया जाता है। यह कोटा उस संख्या पर आधारित होता है, जितने सांसद वोट डालते हैं। कुल वैध वोटों की संख्या को 2 से भाग दिया जाता है। उसमें 1 जोड़ा जाता है। उदाहरण के तौर पर, यदि कुल 787 सांसदों ने मतदान किया, तो 787 ÷ 2= 393.5। दशमलव (.5) को नजरअंदाज किया जाता है, यानी संख्या 393 मानी जाती है। अब इसमें 1 जोड़ने पर कोटा बनता है 394। मतलब है कि किसी उम्मीदवार को उपराष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 394 वोट हासिल करने होंगे।






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