रायपुर: भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर–विशाखापत्तनम कारिडोर में मुआवजा घोटाले का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले जहां एक एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और तीन पटवारियों पर प्रकरण दर्ज हो चुका है, वहीं अब संभागायुक्त को भेजी गई शिकायत में कई अन्य अफसरों की संलिप्तता भी सामने आई है।
अब ग्राम कोलर के मुआवजे की गड़बड़ी में तत्कालीन एसडीएम जगन्नाथ वर्मा, तहसीलदार कृष्ण कुमार साहू और पटवारी संजीव खुदशाह का नाम सामने आ रहा है। ग्राम कोलर में खसरा नंबर 305, रकबा 1.214 हेक्टेयर भूमि को 24 टुकड़ों में बांटकर 11 करोड़ 84 लाख रुपये का मुआवजा निकाल लिया गया।
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दस्तावेज बताते हैं कि यह बंटवारा अधिसूचना जारी होने के बाद किया गया। इस खसरे के भूमिस्वामी में यशवंत पिता तुलसीराम सहित नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं, जिन्हें आगे कर मुआवजा राशि की बंदरबाट की गई। पटवारी संजीव खुदशाह ग्राम कोलर में लगातार तीन वर्षों तक पदस्थ रहे और उन्होंने भारतमाला परियोजना में प्रतिबंध के बाद अवैध बटांकन किया।
8 टुकड़ों में बांटकर 1.61 करोड़ रुपये मुआवजा
खसरा नंबर 308 (0.13 हेक्टेयर) और 309 (0.185 हेक्टेयर) भूमि को आठ टुकड़ों में बांटकर एक करोड़ 61 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा जारी कराया गया। भारतमाला परियोजना के भू-अर्जन एवं मुआवजा वितरण सूची मे अभनपुर अंतर्गत अधिसूचना के अनुसार रायपुर में 43.600 किलोमीटर से 79.800 किलोमीटर (दुर्ग रायपुर खंड) के लिए अर्जित की गई। कोलर में कुल 62 खसरों का मुआवजा निर्धारित किया गया।
इन एसडीएम की हुई शिकायत
इन तहसीलदारों की हुई शिकायत
भू-अर्जन की प्रक्रिया के दौरान अभनपुर में रहे एसडीएम, तहसीलदारों, आरआइ और पटवारी सभी जांच के दायरे में हैं। वजह यह है कि राजस्व रिकार्ड में हुई गड़बड़ी की जानकारी सभी को थी। इसके बाद भी मुआवजा वितरण में रोक नहीं लगाई गई। इसकी विस्तृत शिकायत संभागायुक्त को की गई है।
- कृष्णकुमार साहू, शिकायतकर्ता
करीब 150 शिकायतें मिली हैं। इसकी जांच के लिए टीम बनाई गई है। जांच रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाएगी। आगे की कार्रवाई शासन स्तर पर की जाएगी।
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- महादेव कावरे, एसडीएम, रायपुर
नेताओं के रिश्तेदारों के वारे-न्यारे
ग्राम कोलर में भूमि अधिग्रहण के राजस्व रिकार्ड के अनुसार, खसरा नंबर 68 को 28 टुकड़ों, 305 को 24, 322 को 22 और 128 को 67 टुकड़ों में बांटकर सिर्फ गोलछा परिवार को 20.71 करोड़ रुपये का मुआवजा दे दिया गया।
इसी तरह, खसरा नंबर 294 को 37 टुकड़ों में विभाजित कर धमतरी के राजनेता के रिश्तेदार सरिता चंद्राकर को 20.25 लाख और राजेंद्र चंद्राकर को 30 लाख से अधिक का लाभ मिला। जांच में पाया गया कि एक ही खसरे को कई टुकड़ों में बटांकित कर करोड़ों का भुगतान किया गया।
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