नई दिल्ली : बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम कटाने और फर्जी मतदाता बनाने के लग रहे आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा है कि यदि एक अगस्त को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में किसी का नाम छूट गया है या नाम गलत जुड़ गया है तो राजनीतिक दल और जागरूक मतदाता आपत्ति दर्ज करा सकते है।
चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा है कि प्रारुप मतदाता सूची जारी होते ही बिहार के सभी 12 राजनीतिक दलों को इसकी प्रिटेंड और डिजिटल प्रति दी जाएगी। साथ ही इस प्रारूप मतदाता सूची को वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा। आयोग ने पुनरीक्षण अभियान के तहत 24 जुलाई तक बिहार के 99 प्रतिशत मतदाताओं तक पहुंचने का दावा दिया है।
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गणना फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई
आयोग ने प्रारूप से जुड़ी आपत्तियों को संबंधित विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन पंजीयन अधिकारी (ईआरओ) व सहायक निर्वाचन पंजीयक अधिकारी (एईआरओ) के पास दर्ज कराने को कहा है। साथ ही कहा है कि यदि वहां से वे संतुष्ट नहीं होते है, तो जिला निर्वाचन अधिकारी और राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास उसे चुनौती दे सकते है। बिहार में गणना फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई है।
आयोग के मुताबिक बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और बूथ लेवल एजेंट(बीएलए) की पड़ताल में अब तक 21.6 लाख मृत मतदाताओं के नाम पाए गए है जबकि 31. 5 लाख मतदाता स्थाई रूप से स्थानांतरित पाए गए है। वहीं सात लाख मतदाताओं के वोट एक से अधिक जगह पर पाए गए है। इसके साथ ही एक लाख मतदाताओं का अब तक कोई पता नहीं चल पा रहा है।
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आयोग के मुताबिक इसके अतिरिक्त बीएलओ व बीएलए के घर-घर दौरों के बावजूद भी करीब सात लाख मतदाताओं के गणना फार्म अभी वापस नहीं मिले है। आयोग के मुताबिक इन सभी लोगों की सूची जिलों में राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को 20 जुलाई को उपलब्ध करा दी गई है। वहीं 7.21 करोड़ मतदाताओं के गणना फार्म डिजिटल तरीके से अपलोड़ कर दिए गए है। गौरतलब है कि बिहार में मौजूदा समय में 7.90 करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज है।
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