नई दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति के गठन की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि 152 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ 21 जुलाई को बिरला को सौंपा गया नोटिस अब सदन की संपत्ति है।
तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन के लिए परामर्श शुरू हो गया है, जिसमें या तो भारत के प्रधान न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, एक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होंगे।
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63 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर के साथ नोटिस सौंपा गया था
चूंकि उसी दिन 63 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर के साथ एक नोटिस राज्यसभा के तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ को भी सौंपा गया था, इसलिए उच्च सदन भी परामर्श प्रक्रिया का हिस्सा है।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
प्रक्रिया के तहत स्पीकर से अपेक्षा की जाती है कि वह प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर दो न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश करने का अनुरोध करेंगे, जबकि प्रतिष्ठित न्यायविद का चयन उनका विशेषाधिकार है।
नोटिस प्रस्तुत किए जाने के बाद से गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श का हिस्सा रहे हैं।
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आरोपों की जांच के लिए समिति का होगा गठन
धनखड़ ने सोमवार को राज्यसभा में न्यायाधीश (जांच) अधिनियम का हवाला देते हुए कहा था कि जब संसद के दोनों सदनों में एक ही दिन नोटिस प्रस्तुत किया जाता है, तो न्यायाधीश के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति द्वारा समिति गठित की जाती है।
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