दुर्ग : छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर गुरुवार को उस वक्त भारी हंगामा मच गया जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कथित मानव तस्करी और धर्मांतरण के संदेह में दो नन (सिस्टर) और एक युवक को पकड़ लिया। इन तीनों पर आरोप है कि वे नारायणपुर और ओरछा क्षेत्र की तीन नाबालिग लड़कियों को आगरा ले जा रहे थे, जहां उन्हें बहला-फुसलाकर धर्मांतरण कराने की कोशिश की जा रही थी। घटना भिलाई-3 जीआरपी थाना क्षेत्र के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी की है। गुरुवार को स्टेशन पर तीन लड़कियां संदिग्ध हालत में घूमती नजर आईं। कुछ यात्रियों और स्टेशन स्टाफ को उनकी गतिविधियां असामान्य लगीं, जिसके बाद इस पर ध्यान दिया गया। इस दौरान बजरंग दल के कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंच गए।
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पूछताछ में खुलासा बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने लड़कियों से पूछताछ की, जिसमें उन्होंने बताया कि वे “काम की तलाश” में बाहर जा रही हैं। लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि परिवार को इस यात्रा की जानकारी है या नहीं, तो वे चुप हो गईं। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने तुरंत लड़कियों को दो नन और एक युवक के साथ जीआरपी थाने पहुंचाया और आरोप लगाया कि यह मामला मानव तस्करी और धर्मांतरण का है। बजरंग दल का आरोप –
"धर्मांतरण की बड़ी साजिश"
बजरंग दल की जिला संयोजिका ज्योति शर्मा भी थाने पहुंचीं और उन्होंने कहा कि ये नन लड़कियों को नौकरी के बहाने बाहर ले जा रही थीं, लेकिन यह मामला सिर्फ रोजगार का नहीं बल्कि धर्मांतरण और मानव तस्करी की एक संगठित साजिश का हिस्सा है। ज्योति शर्मा ने मीडिया को बताया, “इन लड़कियों के घरवालों से संपर्क किया गया, और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें इस यात्रा की कोई जानकारी नहीं थी। इससे साफ है कि बच्चों को बहला-फुसलाकर ले जाया जा रहा था।”
डायरी में चौंकाने वाले
सुराग पुलिस को एक लड़की के पास से एक डायरी भी मिली है, जिसमें कई पादरियों के नाम, मोबाइल नंबर और अलग-अलग राज्यों के नाम लिखे गए हैं। इसके अलावा डायरी में 8 से 10 अन्य नाबालिग लड़कियों के फोटो भी मिले हैं, जो अब जांच का विषय बन गए हैं। इस डायरी के मिलने के बाद पुलिस को यह संदेह है कि यह मामला एक बड़े नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है, जो भोले-भाले आदिवासी और ग्रामीण इलाकों की लड़कियों को शिकार बनाकर उन्हें धर्मांतरण या अवैध कामों में धकेल रहा है।
जीआरपी का एक्शन – मामला दर्ज, जांच जारी भिलाई जीआरपी प्रभारी राजकुमार बोरझा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। “हमने दो नन और एक युवक के खिलाफ भारतीय संहिता की धारा 143 बीएस के तहत मामला दर्ज किया है। लड़कियों को फिलहाल महिला पुलिस की सुरक्षा में रखा गया है। बाल संरक्षण इकाई और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को भी सूचना दी गई है।” राजकुमार बोरझा ने यह भी कहा कि डायरी में मिले नंबरों और फोटो के आधार पर पूरे नेटवर्क की जांच की जाएगी।
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राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय संगठनों और राजनीतिक दलों में भी हलचल मच गई है। भाजपा नेताओं ने इसे आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में "सोची-समझी धर्मांतरण की साजिश" करार दिया है, वहीं कुछ ईसाई संगठनों ने आरोपों को "बेबुनियाद" बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
मानव तस्करी और धर्मांतरण: छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रही घटनाएं? छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों से धर्मांतरण और मानव तस्करी को लेकर विवाद और घटनाएं सामने आती रही हैं। सरकार द्वारा समय-समय पर इस पर नियंत्रण के प्रयास किए गए हैं, लेकिन नेटवर्क के फैलाव और कमजोर सामाजिक सुरक्षा तंत्र के कारण यह चुनौती बनी हुई है। इस घटना ने एक बार फिर राज्य में सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन को अलर्ट कर दिया है। यदि जांच में धर्मांतरण या तस्करी की पुष्टि होती है, तो यह मामला और बड़ा रूप ले सकता है।
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