Sawan 2025: सावन सोमवार पर क्या करें और क्या न करें?

Sawan 2025: सावन सोमवार पर क्या करें और क्या न करें?

नई दिल्ली : वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 28 जुलाई को सावन माह का तीसरा सोमवार है। यह दिन देवों के देव महादेव को बेहद प्रिय है। इसके लिए प्रातः काल से मंदिरों में बाबा वैधनाथ की पूजा और आरती की जा रही है। पूजा के समय बाबा वैधनाथ का जलाभिषेक भी किया जा रहा है। साथ ही साधक मनचाही मुराद पाने के लिए सावन सोमवार का व्रत रख रहे हैं।

धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। इसके अलावा, भगवान शिव की कृपा से हर परेशानी दूर हो जाती है। हालांकि, सावन सोमवार व्रत की पूजा इस कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। इसके लिए सावन सोमवार पर पूजा के समय इस व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।

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सावन सोमवार व्रत कथा

सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि प्राचीन समय में एक धनी व्यापारी अपने नगर में धर्म-कर्म के लिए प्रसिद्ध था। धनी व्यापारी के पास भगवान का दिया हुआ सबकुछ था। हालांकि, धनी व्यापारी को कोई संतान नहीं थी। इसके लिए साहूकार दंपति परेशान और चिंतित रहते थे। यह जान दंपति ने एक ऋषि से सलाह ली। उन्होंने दंपति को सावन सोमवार पर न केवल शिव-शक्ति की पूजा करने की सलाह दी, बल्कि सावन सोमवार का व्रत रखने की सलाह दी। ऋषि की बात मान व्यापारी ने सावन सोमवार का व्रत किया। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

हालांकि, पुत्र अल्पायु था। कुछ समय बाद धनी व्यापारी ने अपने पुत्र को शिक्षा प्राप्ति के लिए पत्नी के भाई को काशी भेज दिया। इसी दौरान साहूकार का पुत्र और उनका मामा एक स्थान पर रुके, जहां नगर के राजा की पुत्री का विवाह हो रहा था। लेकिन विवाह में बाधा आ रही थी। राजा का होने वाला दामाद दिव्यांग (एक आंख से) था। तब साहूकार के पुत्र से राजा की पुत्री का विवाह धोखे से करा दिया गया। हालांकि, विवाह के बाद साहूकार का पुत्र काशी चला गया, लेकिन पत्र के माध्यम से राजकुमारी को यह जानकारी दे दी।

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काल चक्र अपनी गति से आगे बढ़ रहा था। वह समय भी आ गया, जब व्यापारी के पुत्र का निधन हो गया। उस समय देवी मां पार्वती की विनती पर भगवान शिव ने व्यापारी के पुत्र को जीवनदान दिया। कालांतर में साहूकार का पुत्र अपनी वधु के साथ अपने नगर लौट गए। पुत्र को देख साहूकार दंपति भाव-विभोर हो उठे। पुत्र को देख उन्होंने भगवान शिव और मां पार्वती की विनती कर धन्यवाद दिया। तत्कालीन समय से पुत्र प्राप्ति से लेकर सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है।






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