सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित है, तो वहीं एकादशी तिथि को विष्णु जी की आराधना के लिए विशेष माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव संग विष्णु जी की आराधना करने से व्यक्ति को दोगुने फलों की प्राप्ति होती है. श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है.
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पुत्रदा एकादशी साल में कितनी बार पड़ती है:- पुत्रदा एकादशी साल में दो बार पड़ती है. पहली श्रावण मास में और दूसरी पौष मास में. श्रावण मास में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत अगस्त में रखा जाता है और पौष माह पुत्रदा एकादशी दिसंबर या फिर जनवरी में पड़ती है. सावन के महीने में पड़ने के कारण पुत्रदा एकादशी का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. धर्म शास्त्रों के मुताबिक, पुत्रदा एकादशी व्रत के पुण्य प्रताप से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. साथ ही, संतान प्राप्ति के लिए भी पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है.
सावन पुत्रदा एकादशी 2025:- पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 4 अगस्त को सुबह 11:41 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 5 अगस्त को दोपहर 1:12 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सावन पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त को मनाई जाएगी.
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पुत्रदा एकादशी व्रत पारण:- 6 अगस्त को सुबह 5:45 से 8:26 बजे तक.
पुत्रदा एकादशी का महत्व:- धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन पूरी श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और हर इच्छा पूर्ण करते हैं. कहते हैं कि जो भी दंपति संतान प्राप्ति चाहता है, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी है. इसके अलावा, पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए भी रखा जाता है.
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